ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानी लाभ के पद के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी संकट में है। हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने जून 2021 में मुख्यमंत्री रहते हुए खुद के नाम खदान का पट्टा आवंटित करा लिया था। जानना जरूरी होगा कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला क्या है।
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट: सोनिया, शिबू सोरेन, जया की गई थी सदस्यता
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- 26 Aug, 2022
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला क्या है और इसके तहत किन-किन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है?

संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ए) के अनुसार, किसी भी सांसद या विधायक को अयोग्य घोषित किया जा सकता है, यदि वह भारत सरकार या राज्य सरकार के तहत लाभ के किसी पद पर हों और उन्हें वेतन या भत्ते समेत अन्य कोई लाभ मिलते हों।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, हेमंत सोरेन के पिता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन, सपा की नेता जया बच्चन सहित कई नेताओं के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में कार्रवाई हो चुकी है।