पहलगाम में 22 अप्रैल को 26 लोगों की मौत पर राष्ट्रीय गुस्सा फूट पड़ा था। लेकिन वही सरोकार पाकिस्तान की गोलीबारी में सीमा पर मारे जा कश्मीरी लोगों के लिए नहीं है। यह दर्द जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला का है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। ऑपरेशन सिंदूर को देश की सेना की बदौलत जबरदस्त कामयाबी मिली। देश में पहलगाम की घटना के बाद पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा देखा गया। लेकिन अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद भाजपा पूरे देश में मंगलवार से तिरंगा यात्रा निकाल रही है। जश्न मना रही है। पीएम मोदी मंगलवार को आदमपुर एयरबेस जवानों का मनोबल बढ़ाने पहुंचे। मोदी और भाजपा के नेता अपने भाषणों में, मीडिया के सामने पहलगाम हमले से लेकर ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तानी की गोलीबारी से बॉर्डर पर मारे जा रहे कश्मीरियों के लिए कोई दो शब्द भी नहीं बोल रहा है। जम्मू कश्मीर का क्षोभ इसी बात को लेकर सामने आया है।
एक टीवी चैनल पर उमर ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सामने आई "चुनिंदा नाराज़गी" की आलोचना की और इस बात की ओर इशारा किया कि पाकिस्तान की सीमा पार गोलाबारी से आम नागरिकों की मौतों पर राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा- जहां देश ने पहलगाम हमले में मारे गए 26 लोगों के लिए सही तरह से शोक जताया, वहीं जम्मू-कश्मीर में सीमा पार की गोलाबारी में मारे गए लोगों की मौतों को बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया जा रहा है। बता दें कि सीमा पर पाकिस्तानी गोलीबारी में अब तक 30 से ज्यादा कश्मीरी लोग मारे जा चुके हैं। जिनमें सुरक्षा बलों के दो जवान भी शामिल हैं।
अब्दुल्ला ने कहा - पहलगाम हमले को लेकर देशभर में गुस्से और शोक की प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी, लेकिन इसके साथ ही यह निराशा भी है कि पाकिस्तान की सीमा पार गोलाबारी में मारे गए कश्मीरियों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा रहा।"
मुख्यमंत्री ने बताया कि आम नागरिकों और सैनिकों की मौतें कई जिलों में हुई हैं और यह सभी धर्मों के लोगों को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने कहा- "हमने राजौरी, पुंछ, उरी, बारामूला में लोग खोए हैं। हमने मुसलमान, हिंदू, सिख सभी को खोया है। हमने आम नागरिक और सेना के जवान खोए हैं। अगर गुरुद्वारे और मंदिर गोलाबारी की जद में आए हैं, तो पुंछ में मदरसे भी आए हैं।" बता दें कि मुख्यमंत्री ने अभी हाल ही में पुंछ और राजौरी का दौरा किया था और उन परिवारों से बात की थी, जिनके लोग पाकिस्तानी गोलीबारी में मारे गए हैं।
इसके अलावा, उमर अब्दुल्ला ने इन मौतों पर राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर प्रतिक्रिया पर सवाल उठाया और कहा कि जम्मू-कश्मीर में निर्दोष लोगों की मौतों को महज "औपचारिकता" बना दिया गया है। ऐसा लग रहा है मानो यह घटनाएं हुई ही नहीं हैं।
जम्मू-कश्मीर में निर्दोष लोगों की मौतों को महज "औपचारिकता" बना दिया गया है। ऐसा लग रहा है मानो यह घटनाएं हुई ही नहीं हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पहलगाम और भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद की घटनाओं की केवल आधी कहानी ही बताई जा रही है। उमर ने कहा- "पहलगाम की कहानी तो बताई जा रही है, लेकिन पुंछ में जो जुड़वां बच्चे मारे गए, कश्मीर में जो महिला मरी, मेरे अतिरिक्त जिला विकास आयुक्त की जो रंबन में अपने घर में मौत हुई — इन कहानियों को दुर्भाग्यवश नहीं बताया जा रहा।" बता दें कि यहां उनका इशारा मीडिया की तरफ भी है जो इन घटनाओं को नजरन्दाज कर रहा है। मीडिया के पास शौर्यगाथाएं हैं लेकिन कश्मीरियों का दर्द नहीं है।
मुख्यमंत्री जिन जुड़वां बच्चों का जिक्र कर रहे थे, वे 12 वर्षीय ज़ोया और अयान ख़ान थे, जो जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में सीमा पार से दागे गए मोर्टार शेल के उनकी किराए की आवासीय इमारत पर गिरने से मारे गए थे। उनके चाचा और चाची भी इस हमले में मारे गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान पर कि भारत भविष्य में किसी भी आतंकी हमले का करारा जवाब देगा, अब्दुल्ला ने समर्थन व्यक्त करते हुए कहा:
"मुझे लगता है कि हर भारतीय जो अपने देश में विश्वास करता है और यह मानता है कि उसका देश शांतिपूर्वक जीवन जीने का अधिकार रखता है, वह इस बात का समर्थन करेगा।"
जम्मू कश्मीर की सीमा पर पाकिस्तानी गोलाबारी में मारे गए निर्दोष नागरिकों को लेकर विपक्ष ने भी बहुत ज्यादा गुस्सा या विरोध नहीं दिखाया। वहां ग्राउंड से रिपोर्टरों ने अपनी रिपोर्टों में आम कश्मीरियों की जो बातचीत के वीडियो डाले हैं, उसमें वहां के लोग स्पष्ट रूप से अपना गुस्सा जताते देखे गए। उन्होंने कहा कि हमें न तो पर्याप्त सुरक्षा मिली और न ही हमें समय पर सूचित किया गया।