ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सियासी गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। लेकिन आम लोग क्या सोचते हैं? ताज़ा सर्वे में सामने आई जनता की राय से जानें कौन कर रहा है असली राजनीति।
क्या सरकार को ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के लिए संसद का संयुक्त सत्र बुलाना चाहिए? क्या आप राहुल की इस आलोचना से सहमत हैं कि विदेश मंत्री ने ऑपरेशन शुरू होने से पहले पाकिस्तान को जानकारी दी? क्या आप इस बात से सहमत हैं कि प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा, ये चुनाव करने का अधिकार पार्टियों को होना चाहिए? आपके हिसाब से ऑपरेशन सिंदूर पर कौन राजनीति कर रहा है? क्या बीजेपी सरकार ऑपरेशन सिंदूर का क्रेडिट लेकर सही कर रही है? राहुल की विदेश मंत्री की आलोचना से आप सहमत हैं? ऐसे ही सवालों पर एक सर्वे में लोगों की राय सामने आई है।
वोट वाइब सर्वे ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जनता की राय जानने के लिए एक सर्वेक्षण किया। इसमें कई अहम सवालों पर जनता के विचार सामने आए। जानिए, इस सर्वे में किन सवालों पर लोगों ने किस तरह की राय रखी।
क्या सरकार को ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के लिए संसद का संयुक्त सत्र बुलाना चाहिए?
इस सवाल के जवाब में 61.3 फ़ीसदी लोगों ने समर्थन किया, जबकि 18.3 फ़ीसदी लोगों ने असहमति जताई। बाक़ी लोगों ने कोई राय नहीं दी।
सर्वे में स्पष्ट बहुमत का मानना है कि सरकार को ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए संसद का संयुक्त सत्र बुलाना चाहिए।
क्या आप राहुल गांधी की इस आलोचना से सहमत हैं कि विदेश मंत्री ने ऑपरेशन शुरू होने से पहले पाकिस्तान को जानकारी दी?
36.8 फ़ीसदी लोगों ने सहमति जताई, जबकि 48.7 फ़ीसदी लोगों असहमति जताई। बाक़ी लोगों ने इस पर कोई राय नहीं दी।
अधिकांश लोग राहुल गांधी के इस दावे से असहमत हैं कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से पहले पाकिस्तान को सूचित किया। विदेश मंत्रालय ने सफ़ाई दी है कि पाकिस्तान को ऑपरेशन के बाद सूचित किया गया था ताकि तनाव कम हो और यह स्पष्ट हो कि लक्ष्य केवल आतंकी ठिकाने थे।
क्या आप इस बात से सहमत हैं कि प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा, ये चुनाव करने का अधिकार पार्टियों को होना चाहिए?
जवाब में 56.4 फ़ीसदी लोगों ने हाँ कहा, जबकि 12.2 फ़ीसदी लोगों ने असहमति जताई। बाक़ी लोगों की राय साफ़ नहीं थी।
सर्वे में आधे से अधिक लोगों का मानना है कि राजनीतिक दलों को प्रतिनिधिमंडल में अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार होना चाहिए। यह जनता के बीच कूटनीतिक प्रक्रिया में पार्टियों की भागीदारी के लिए समर्थन को दिखाता है।
आपके हिसाब से ऑपरेशन सिंदूर पर कौन राजनीति कर रहा है?
34.9 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि बीजेपी और सरकार राजनीति कर रही है। 31.7 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष राजनीति कर रहे हैं। 19.1 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि दोनों राजनीति कर रहे हैं। बाक़ी लोगों ने कोई राय नहीं दी।
सर्वे के अनुसार, जनता का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनीति कर रहे हैं। हालाँकि अधिकतर लोग बीजेपी और सरकार को दोषी बता रहे हैं। दोषारोपण का यह बँटवारा दिखाता है कि जनता इस मुद्दे पर गहरे राजनीतिक ध्रुवीकरण को देख रही है।
क्या बीजेपी सरकार ऑपरेशन सिंदूर का क्रेडिट लेकर सही कर रही है?
इस सवाल पर 59.0 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि मोदी ने लीड किया, जबकि 30.7 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि सेना को क्रेडिट मिलना चाहिए। बाक़ी लोग साफ़ राय नहीं रख पाए।
इस सवाल पर जनता की राय बँटी हुई है। अधिकतर लोग मानते हैं कि बीजेपी सरकार का ऑपरेशन का श्रेय लेना उचित है, जबकि कुछ लोग असहमत हैं। यह दिखाता है कि ऑपरेशन के राजनीतिकरण पर जनता में मतभेद है।
राहुल गांधी की विदेश मंत्री की आलोचना से आप सहमत हैं?
44 फ़ीसदी महिलाओं और 29 फ़ीसदी पुरुषों ने इससे सहमति जताई।
यदि इसे उम्र वर्ग के हिसाब से देखा जाए तो 18-24 साल के वर्ग के 47 फ़ीसदी सहमत हैं, जबकि 40 फ़ीसदी असहमत हैं। 25-34 उम्र के 44 फ़ीसदी सहमत हैं, जबकि 48 फ़ीसदी असहमत हैं। 35-44 साल के 24 फीसदी सहमत हैं, जबकि 52 फ़ीसदी असहमत हैं। 45-54 साल के 44 फीसदी सहमत हैं जबकि 47 फ़ीसदी सहमत नहीं हैं। 55 साल से ऊपर के 22 फ़ीसदी सहमत हैं जबकि 59 फ़ीसदी सहमत नहीं हैं।
इस तरह जनता का बड़ा हिस्सा राहुल गांधी की विदेश मंत्री की आलोचना से असहमत है, जैसा कि ऊपर बताया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर पर कौन कर रहा है राजनीति?
31 फ़ीसदी पुरुष और 39 फ़ीसदी महिलाएँ मानती हैं कि बीजेपी और सरकार राजनीति कर रही है। 33 फ़ीसदी पुरुष और 30 फ़ीसदी महिलाएँ कांग्रेस व विपक्ष पर राजनीति करने का दोष देते हैं। 19 फ़ीसदी पुरुष और 20 फ़ीसदी महिलाएँ दोनों को दोषी मानती हैं।
18-24 साल के युवाओं की बात करें तो 62 फ़ीसदी बीजेपी व सरकार को और 14 फ़ीसदी कांग्रेस व विपक्ष को राजनीति करने का दोषी मानते हैं।
वोट वाइब सर्वे के परिणाम दिखाते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर एक राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है और इस पर जनता गंभीर चर्चा और पारदर्शिता चाहती है। हालाँकि, राजनीतिक दलों के बीच दोषारोपण और श्रेय लेने की होड़ ने जनता की राय को विभाजित कर दिया है। सर्वे में यह भी साफ़ है कि जनता संसद में इस मुद्दे पर खुली बहस की पक्षधर है, लेकिन विदेश मंत्री की आलोचना और ऑपरेशन के राजनीतिकरण पर जनता की राय बँटी हुई है।