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सांसद निलंबन: विपक्ष ने संसद से निकाला मार्च, कहा- 'लोकतंत्र बचाओ'

संसद से विपक्षी सांसदों के निलंबन के विरोध में विपक्षी दलों ने गुरुवार सुबह पुराने संसद भवन से मार्च निकाला। वे क़रीब एक किलोमीटर दूर मध्य दिल्ली के विजय चौक तक मार्च को ले गए। इसमें विपक्षी नेता 'लोकतंत्र बचाओ' का एक बड़ा बैनर और तख्तियां लेकर चल रहे थे। तख्तियों पर 'लोकतंत्र की हत्या बंद करो', 'विपक्षी सांसद निलंबित!' 'क्या यह लोकतंत्र की जननी है' जैसे नारे लिखे थे।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पत्रकारों से कहा कि यह सदन के विशेषाधिकार के हनन का मामला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने संसद सत्र के दौरान बाहर बात की और सदन को लोकसभा सुरक्षा चूक के बारे में अवगत नहीं कराया। खड़गे ने कहा, 'हम लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा सभापति से बार-बार अनुरोध कर रहे हैं कि हमें सुरक्षा उल्लंघन पर बोलने की अनुमति दी जाए, लेकिन सत्तारूढ़ दल के सांसद कार्यवाही में बाधा डाल रहे हैं।'

खड़गे ने कहा, 'हमें, भारत के लोगों को लोकतंत्र को बचाने की जरूरत है। विपक्षी सांसदों को निलंबित करके महत्वपूर्ण कानून पारित करना लोकतंत्र नहीं है। यह सबसे घटिया अधिनायकवाद है। अगर हमने अभी इस तानाशाही के खिलाफ आवाज नहीं उठाई तो हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी!'

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'हमारे जो मूल मुद्दे थे, उससे हटकर मोदी सरकार ने मनमाफिक इतना बड़ा बिल पारित कर दिया। ये देश और लोकतंत्र के लिए बड़ा ख़तरनाक है। इसका दूरगामी असर होगा। यह सरकार हर चीज की अनदेखी कर रही है और बहुमत के बाहुबल से अपनी मर्जी चला रही है। ये देश को अंधेरे की ओर धकेलने का काम कर रहे हैं और हम इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे।'

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अब तक कुल मिलाकर 143 सांसदों को निलंबित किया गया है। इसमें से लोकसभा से 97 और राज्यसभा से 46 हैं। इन पर 13 दिसंबर को हुए अभूतपूर्व सुरक्षा चूक पर बहस की मांग के बीच कार्यवाही में बाधा डालने का आरोप लगाया गया था। 

पिछले हफ्ते बुधवार को दो युवक लोकसभा के अंदर घुस गए थे और धुआं छोड़ा था। इसे बहुत बड़ी सुरक्षा सेंध माना गया। विपक्ष ने गुरुवार और शुक्रवार को इस मुद्दे पर दोनों सदनों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग की। सरकार ने दोनों सदनों में इस पर चर्चा नहीं होने दी तो हंगामा हुआ। हंगामे को लेकर ही विपक्षी सांसदों पर कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई को कांग्रेस ने लोकतंत्र पर हमला क़रार दिया है।

एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री और भाजपा देश में 'एकल पार्टी शासन' लाना चाहते हैं और संसद से सांसदों का निलंबन उसी के लिए किया गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा कि यह किस तरह की जांच है। उन्होंने कहा, 'संसदीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों को जवाबदेह क्यों नहीं बनाया गया? अब तक गाज गिर जानी चाहिए थी।' खड़गे ने कहा कि जाहिर तौर पर घुसपैठिए महीनों से इसकी साज़िश रच रहे थे और पूछा कि इस बड़ी खुफिया विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है।

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कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस शर्मनाक सुरक्षा चूक के लिए उच्च पदों पर बैठे लोगों को दंडित करने के बजाय, उन्होंने सांसदों के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लिया है, जिससे वे जवाबदेही से बच रहे हैं। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने घोषणा की है कि इंडिया ब्लॉक के नेता शुक्रवार को जंतर-मंतर पर 143 विपक्षी सदस्यों के निलंबन का विरोध करने के लिए तैयार हैं।

शीतकालीन सत्र के समाप्त होने में केवल दो दिन शेष हैं। राज्यसभा में तीन आपराधिक न्याय विधेयकों को पेश किया जाना है। माना जा रहा है कि ये इस सदन में भी पास हो ही जाएंगे। बुधवार को लोकसभा द्वारा पारित किए गए तीन विधेयकों का उद्देश्य औपनिवेशिक युग के कानूनों को बदलकर देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन करना है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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