पहलगाम में आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पहला भाषण बिहार के मधुबनी में 24 अप्रैल को दिया। इससे पहले जब-जब आतंकी हमले हुए तो मोदी का भाषण हुआ। बयानों में काफी समानताएं हैं। पेश है उनका विश्लेषणः
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल (2014 से अब तक) में भारत ने कई बड़े आतंकवादी हमलों का सामना किया है, जिनमें उरी (2016), पुलवामा (2019), और हाल ही में पहलगाम (2025) जैसे हमले शामिल हैं। इन हमलों के बाद प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रियाओं और उनके द्वारा किए गए वादों ने उनकी सरकार की नीति और रणनीति को रेखांकित किया है। लेकिन हर बार बात बयान से आगे बढ़ी नहीं। पहले जानिए कि इन बड़े हमलों के बाद मोदी का क्या बयान आया और क्या वादे किए।
जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमला किया, जिसमें 7 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।
मोदी की प्रतिक्रिया: मोदी ने हमले की निंदा की और कहा कि “आतंकवादी भारत की प्रगति को बाधित नहीं कर सकते।” उन्होंने सुरक्षा बलों की तारीफ की और आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया। ट्विटर पर उन्होंने लिखा: “हमारे सुरक्षा बलों ने बहादुरी और पेशेवराना ढंग से हमले को नाकाम किया।”
वादा: आतंकवादियों और उनके समर्थकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई। राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए खुफिया तंत्र और सुरक्षा बलों की क्षमता बढ़ाने का वादा।
कार्यान्वयन: हमले के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जांच शुरू की, और पाकिस्तान के साथ सबूत साझा किए गए। हालांकि, ठोस सैन्य जवाब नहीं दिया गया, जिसके लिए सरकार की आलोचना हुई।
जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के शिविर पर हमला किया, जिसमें 19 सैनिक शहीद हुए।
मोदी की प्रतिक्रिया: मोदी ने हमले को “कायरतापूर्ण” करार दिया और कहा: “हम इस हमले को भूलेंगे नहीं, और न ही इसके जिम्मेदार लोगों को बख्शेंगे।” उन्होंने सुरक्षा बलों को “पूरी छूट” देने की बात कही।
वादा: आतंकवादियों को “मुंहतोड़ जवाब” देने का वादा। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करने की रणनीति।
कार्यान्वयन: 29 सितंबर 2016 को भारत ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार “सर्जिकल स्ट्राइक” की, जिसमें आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए जिम्मेदार ठहराया।
जैश-ए-मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया, जिसमें 40 जवान शहीद हुए।
मोदी की प्रतिक्रिया: मोदी ने कहा- “आपका खून उबलता है… जिन्होंने यह किया, वे भारी कीमत चुकाएंगे।” उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि “आतंकवाद को समर्थन देना बंद करें।”
वादा: आतंकवादियों और उनके समर्थकों को “नष्ट” करने का वचन। पाकिस्तान को कूटनीतिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने का लक्ष्य।
कार्यान्वयन: 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला किया। भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस लिया और कूटनीतिक दबाव बढ़ाया।
लश्कर-ए-तैबा से जुड़े रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 26 लोग मारे गए।
मोदी की प्रतिक्रिया: मोदी ने हमले को “भारत की आत्मा पर हमला” करार दिया और कहा: “हम हर आतंकवादी, उनके हैंडलर और समर्थकों को ढूंढेंगे, ट्रैक करेंगे और सजा देंगे। हम उन्हें धरती के अंत तक खदेड़ेंगे।” बिहार के मधुबनी में एक रैली में उन्होंने अंग्रेजी में बोलकर वैश्विक समुदाय को संदेश दिया: भारत का हौसला आतंकवाद से कभी नहीं टूटेगा।
”वादा: आतंकवादियों को “उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा” देने का वचन। आतंकवाद के खिलाफ “अटल संकल्प” और वैश्विक सहयोग बढ़ाने की बात।
कार्यान्वयन: भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित किया और पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों को और कम किया। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तीन संदिग्धों के स्केच जारी किए, और 1,500 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। हालांकि, सैन्य कार्रवाई की कोई आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।
आतंकवाद की इन प्रमुख घटनाओं के बाद मोदी की सारी प्रतिक्रिया एक जैसी रही है। जैसे, “मुंहतोड़ जवाब,” “धरती के अंत तक खदेड़ना,” और “कल्पना से बड़ी सजा” जैसे शब्द उनकी बयानबाजी का हिस्सा हैं। वे हर हमले के बाद अक्सर “140 करोड़ भारतीयों की एकता” और “राष्ट्र प्रथम” जैसे संदेश देते हैं। पहलगाम हमले के बाद पहली बार अपने स्टाइल की अंग्रेजी में भी संदेश दिया।
हर हमले के बाद मोदी ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों को सजा देने का वायदा किया है। पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थक बताकर कूटनीतिक और आर्थिक दबाव बनाना उनकी रणनीति का हिस्सा रहा है। लेकिन वे पाकिस्तान का सीधा नाम लेने से बचते भी रहे हैं। उन्होंने कभी यह स्वीकार नहीं किया कि हर बड़ी आतंकी घटना के दौरान खुफिया तंत्र नाकाम रहा।
उरी और पुलवामा हमलों के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट हवाई हमले को मोदी के मास्टरट्रोक के रूप में खूब प्रचारित हुआ। लेकिन विपक्ष ने हमेशा उस पर सवाल उठाया। हालांकि बीजेपी के नेताओं ने विपक्ष के सवाल उठाने को देशद्रोह तक कहा। लेकिन पुलवामा हमले को लेकर जो सवाल हुए, उनके जवाब अब तक नहीं मिले। जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक तक ने केंद्र सरकार को पुलवामा पर कटघरे में खड़ा किया। पूर्व राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने सीआरपीएफ जवानों को प्लेन से ले जाने की सिफारिश हमेशा की थी लेकिन उन्हें बस से भेजा गया।
पठानकोट, पुलवामा, और पहलगाम जैसे हमलों ने खुफिया तंत्र की कमियों को सरासर उजागर किया। पठानकोट और पहलगाम जैसे हमलों के बाद सैन्य कार्रवाई की कमी ने सरकार की “कठोर नीति” पर सवाल उठाए। आलोचकों का कहना है कि मोदी के दावों (जैसे “आतंकवाद खत्म हो गया”) के बावजूद, जम्मू-कश्मीर और अन्य क्षेत्रों में हमले जारी हैं। विशेष रूप से कांग्रेस, ने मोदी पर आतंकवादी हमलों का राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप बार-बार लगाया है। खासकर 2019 के आम चुनावों में बालाकोट हमले के बाद इस आरोप से आजतक मोदी सरकार उबर नहीं पाई है।
आलोचकों का मानना है कि मोदी की बयानबाजी ज्यादातर राजनीतिक लाभ के लिए होती है, और आतंकवाद की जड़ें पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं। जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त 2019 में धारा 370 को खत्म करते समय दावा किया गया था कि इससे आतंकवाद खत्म हो जाएगा। लेकिन हालात सामने हैं। आतंकवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए खुफिया तंत्र को और मजबूत करना, स्थानीय उग्रवाद को रोकना, और पाकिस्तान पर निरंतर दबाव बनाए रखना महत्वपूर्ण होगा। लेकिन जब तक स्थानीय लोगों का सहयोग नहीं मिलेगा, तब तक उग्रवाद को रोकने में बहुत कामयाबी नहीं मिल सकती।