हिमांशी नरवाल के पति विनय नरवाल पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए। हिमांशी नरवाल ने लोगों से शांति की अपील की और इसे हिन्दू- मुसलमान चश्मे से न देखने को कहा। उनकी इस अपील को दक्षिणपंथियों ने पसंद नहीं किया।
हिमांशी नरवाल
“मुझे शांति और केवल शांति चाहिए! निस्संदेह न्याय चाहिए! मैं नहीं चाहती कि कश्मीरियों और मुसलमानों के खिलाफ़ लोग हों” ये शब्द हैं हिमांशी नरवाल के। इन्हीं शब्दों के लिए हिमांशी नरवाल को दक्षिणपंथी लोगों का समूह ट्रोल कर रहा है। गालियां दे रहा है। हालांकि शिक्षाविद् और भारतीय नौसेना के 13वें एडमिरल की विधवा ललिता रामदास ने हिमांशी नरवाल को "एक आदर्श फौजी पत्नी" बताया है। हिमांशी के पति लेफ्टिनेंट विनय नरवाल 22 अप्रैल को कश्मीर में मारे गए लोगों में शामिल थे।
दिवंगत एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास की विधवा ललिता रामदास ने हिमांशी को लिखे एक नोट में कहा, "आप एक आदर्श फौजी पत्नी हैं। आप सेवा की भावना, संविधान और हमारे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति सच्ची हैं।" ललिता रामदास ने लिखा, "मुझे आप पर बहुत गर्व है क्योंकि मैं बार-बार प्रेस को दिए गए आपके शब्दों की क्लिप देखती हूँ। 22 तारीख को पहलगाम में इतने सारे निर्दोष लोगों की भयानक हत्या के बाद जब आप मुसलमानों और कश्मीरियों को निशाना बनाने और नफ़रत के खिलाफ़ बोलती हैं तो आपकी असाधारण शक्ति, धैर्य और दृढ़ विश्वास वाकई उल्लेखनीय है। और हमारे समय में इसकी बहुत ज़रूरत है।"
हिमांशी नरवाल नौसेना के दिवंगत अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हैं। विनय नरवाल की हत्या 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने कर दी थी। हिमांशी और विनय शादी के तुरंत बाद हनीमून के लिए कश्मीर गये थे। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद विनय के शव के बगल में बैठी हिमांशी की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। उस समय हिमांशी के प्रति लोगों की सहानुभूति उमड़ पड़ी थी।
कुछ लोगों ने उनकी निजी फैसलों पर सवाल उठा दिया। कुछ ने उन्हें लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की। बात का गलत मतलब निकाला और उनके बयान को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। कई ऑनलाइन यूजर्स ने उनके शांति के संदेश को कमजोरी समझकर उनकी भयंकर आलोचना की। कुछ ने उनके बयान को गलत संदर्भ में पेश करते हुए कहा कि वह आतंकियों का समर्थन कर रही हैं। गौरतलब है कि हिमांशी ने आतंकवादियों के बचाव में कुछ नहीं कहा था। उन्होंने केवल शांति की अपील की थी, निर्दोषों को निशाना बनाने के खिलाफ बात की थी और न्याय की उम्मीद लगाई थी।
हिमांशी की ट्रोलिंग की काफी निंदा भी हो रही है। लोग खुलकर उनके खिलाफ़ लिख रहे हैं जिन्होंने हिमांशी की शांति की अपील पर उनके साथ शाब्दिक हिंसा शुरू कर दी।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर लोगों के कई रंग दिखे हैं। पहले जहां आतंकवाद को लेकर लगभग तमाम लोगों में एक गुस्सा था, अब एक ऐसी लड़ाई में बदलती दिख रही है जहां कुछ लोग आतंकवाद के नाम पर मुस्लिमों और कश्मीरियों के खिलाफ़ खड़े नज़र आ रहे हैं तो कुछ निर्दोषों को दोष दिए जाने के खिलाफ़ हैं।
मृत्यु के दस दिन बाद ही लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का 27वां जन्मदिन था। उनके इस जन्मदिन पर उनकी याद में रक्तदान शिविर आयोजित किया गया था। विनय नरवाल की याद में करनाल में यह रक्तदान शिविर हरियाणा के एक गैर-सरकारी संगठन, नेशनल इंटीग्रेटेड फोरम ऑफ आर्टिस्ट्स एंड एक्टिविस्ट्स (एनआईएफएए) ने आयोजित किया था। इस शिविर में कई लोग शामिल हुए और विनय की याद में रक्तदान किया। विनय की बहन शृष्टि ने शिविर में आए लोगों का आभार जताया। उन्होंने बताया कि कई लोग दूर-दूर से आए थे। कुछ लोग बेंगलुरु से हवाई यात्रा करके पहुंचे, तो कई दिल्ली से आए। शृष्टि ने कहा कि लोगों ने इस आयोजन में उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया और सरकार ने भी परिवार की मदद की।
इस रक्तदान शिविर में कई पत्रकार भी पहुंचे थे। वहीं पत्रकारों से बात करते हुए हिमांशी ने शांति की यह अपील की। हिमांशी ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि वह नहीं चाहतीं कि लोग मुसलमानों या कश्मीरियों को निशाना बनाएं। उनकी अपील थी कि समाज में शांति बनी रहे, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिन लोगों ने यह अपराध किया, उन्हें सजा जरूर मिले। हिमांशी के बयान जैसे ही सोशल मीडिया पर आए खास तरह के लोगों का हुजूम उन्हें ट्रोल करने लगा। उनके बारे में घटिया बातें करने लगा।
शिविर में मौजूद लोगों ने विनय के बलिदान को याद किया। एनआईएफएए के अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह पन्नू ने कहा कि एक युवा, जो देश की सेवा के लिए समर्पित था, उसे आतंकवाद ने छीन लिया। उन्होंने कहा कि विनय ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दी, और आज लोग उनकी याद में रक्तदान करके दूसरों की जान बचा रहे हैं। एक रक्तदाता ने कहा कि देश हमेशा विनय के बलिदान का ऋणी रहेगा। उन्होंने कहा कि रक्तदान से वे श्रद्धांजलि दे सकते हैं, लेकिन विनय की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता।