बालाकोट में भारतीय वायु सेना की बमबारी से तिलमिलाई पाकिस्तान सेना भारतीय सीमा में घुस कर किसी बड़ी कार्रवाई को अंजाम देने की फिराक में है। इसके लिए पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई ने योजना बनाई है। समझा जाता है कि वह सेना की गोलाबारी बढ़ा कर उसकी आड़ में आतंकवादियों की बड़ी टुकड़ी भेज कर जम्मू-कश्मीर के सैनिक-नागरिक ठिकानों पर हमला करवाने की योजना पर काम कर रही है। 

पाकिस्तान भेजेगा 'बैट'?

भारतीय फ़ौज के सूत्रों का कहना है कि आईएसआई इस कोशिश में है कि पुँछ और राजौरी सेक्टरों में सीमा पर गोलाबारी बढ़ाई जाए और उसके कवर फ़ायर में आतंकवादियों को इस पार भेजा जाए। ख़ुफ़िया एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, पाकिस्तान इसी लिए नियंत्रण रेखा पर इन दो सेक्टरों में ज़्यादा फ़ायरिंग कर रहा है ताकि मौक़ा पाते  ही आतंकवादियों  की घुसपैठ करवाई जाए। पाकिस्तान सेना चाहती है कि बॉर्डर एक्शन टीम (बैट)  भारतीय सीमा  में घुसकर ऑपरेशन करे और बडे पैमाने पर हिंसा कर बालाकोट हमले का बदला ले। 
ख़ुफ़िया एजेंसियों का कहना है कि पाकिस्तान की यह योजना भी है कि नियंत्रण रेखा पर यकायक ज़बरदस्त गोलाबारी कर भारत को ज़्यादा से ज़्यादा नुक़सान पहुँचाया जाए। ग़ौरतलब है कि 2016 और 2017 के मुक़ाबले में 2018 में नियंत्रण रेखा पर इस तरह की घटना बढ़ी है। 

सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने 200 से 300 हथियारबंद आतंकवादियों को भारत में भेजने की योजना बना ली है और इन आतंकवादियों को पुँछ और राजौरी सेक्टर के सामने आस पास के इलाक़े में जमा कर लिया है। उनकी योजना बहुत बड़ी कार्रवाई करने की है।

'हिट एंड किल स्ट्रैटेजी'

सूत्रों के मुताबिक़, पाकिस्तान चाहता है कि सीमा पर 'हिट एंड किल' ऑपरेशन में आतंकवादियों को इस्तेमाल किया जाए। उनकी योजना वैसा ही कुछ करने की है जैसा उसने 2013 में सूबेदार हेमराज को मारने और उनका सिर काट कर ले जाने के लिए किया था। उस समय पाकिस्तानी सेना ने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के एक दर्ज़न कमांडो के इलावा फ़ौज और आतंकवादियों का इस्तेमाल किया था। बॉर्डर एक्शन टीम में पाकिस्तान ने भारत का टुंडा गाइड को इस्तेमाल किया गया था  जो पुँछ का रेहने वाला था और पिछले १३ साल से पाक अधिकृत कश्मीर में रहता था। 
ख़ुफ़िया एजेंसियों का कहना  जिस तरह से पिछले एक साल में कश्मीर घाटी में पाकिस्तान के बड़े बड़े आतंवादी  मारे  गए हैं और स्थानीय युवको की भर्ती कम हो गई है, उससे आएसआई काफ़ी परेशान है। 
पाकिस्तान को लगता है कि अगर कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन इसी तरह चलता रहा तो अगले एक साल में उसे काफ़ी नुक़सान पहुँचेगा। इसी लिए पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद के ज़्यादा से ज़्यादा आतंकवादियों को इस तरफ भेजना चाहता है, ताकि कश्मीर घाटी को अस्थिर रखा जा सके।