महाराष्ट्र के नागपुर में कथित धर्मांतरण के आरोप में एक मलयाली ईसाई पुजारी फादर सुधीर (सीएसआई चर्च से जुड़े), उनकी पत्नी और 10 अन्य लोगों की गिरफ्तारी ने केरल में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है। इस घटना ने राज्य में प्रदर्शनों और राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन, केरल कांग्रेस अध्यक्ष ने गिरफ्तारी की कड़ी निन्दा की है। सीएसआई वही चर्च है, जिसमें हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी गए थे और बिशप से मुलाकात की थी।

सीएसआई बिशप्स काउंसिल के सचिव बिशप साबू मलयिल कोशी ने बुधवार को इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की और इसे संवैधानिक आज़ादी का खुला उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा, “फादर सुधीर पिछले 12 वर्षों से नागपुर में सेवा कर रहे हैं, जहां वे बच्चों की शिक्षा और स्थानीय समुदायों की मदद पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उनकी गतिविधियां कई गांवों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।”

नागपुर पुलिस की हिरासत में फादर सुधीर, उनकी पत्नी और अन्य।

बिशप कोशी ने स्पष्ट किया कि फादर सुधीर और अन्य लोग क्रिसमस की प्रार्थना कर रहे थे। “सीएसआई बिशप्स काउंसिल इस पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा करता है।” उन्होंने चेतावनी दी कि ईसाइयों पर हमलों के सामने राजनीतिक नेतृत्व और सरकार की चुप्पी अपराधियों को गलत संदेश देती है और ऐसे कृत्यों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित करती है।

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यह घटना उस समय हुई जब एक दिन पहले ही ईसाई बिशपों ने भारत के उपराष्ट्रपति से मुलाकात कर ईसाइयों पर हो रहे हमलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। सीएसआई चर्च ने प्रभावित लोगों को पूर्ण कानूनी सहायता देने का वादा किया है और देश भर में ऐसी गलत कार्रवाइयों पर नजर रखने की बात कही है।

केरल के राजनीतिक नेताओं ने भी इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। मुख्यमंत्री पिनरयी विजयन ने सोशल मीडिया पोस्ट में इसे “गहरा परेशान करने वाला” बताया। उन्होंने कहा, “यह संघ परिवार द्वारा अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर ध्रुवीकरण पैदा करने की चिंताजनक प्रवृत्ति का हिस्सा है, जैसा कि पहले जबलपुर में देखा गया। ऐसी कार्रवाइयां संवैधानिक स्वतंत्रताओं को कमजोर करती हैं।”

विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने प्रधानमंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। उन्होंने लिखा, “यह घटना संविधान द्वारा गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की गंभीर चिंता पैदा करती है, विशेष रूप से धर्म अपनाने, अभ्यास करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता। शांतिपूर्ण प्रार्थना सभा आयोजित करने के लिए लोगों को गिरफ्तार करना असंवैधानिक है और हमारे लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के विपरीत है।”

क्रिसमस के दौरान उत्तर भारत में ईसाइयों पर हमलों की लगातार घटनाओं के बाद यह घटना सामने आई है। केरल में विधानसभा चुनाव कुछ महीनों में होने वाले हैं, ऐसे में यह गिरफ्तारी मध्य त्रावणकोर में ईसाई मतदाताओं के बीच भाजपा की स्थिति को प्रभावित कर सकती है।

कैथोलिक चर्च ने भी अपने मुखपत्र ‘दीपिका’ के माध्यम से प्रधानमंत्री की इन हमलों पर “चुप्पी” की कड़ी आलोचना की है।

इस बीच, सीएसआई साउथ केरल डायोसीज के बोर्ड फॉर मिशन के संयुक्त निदेशक फादर जयान ने बताया कि डायोसीज सचिव टी.टी. प्रवीण के नेतृत्व में पुजारी और उनकी पत्नी को रिहा कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। डायोसीज ने फादर सुधीर से संपर्क किया है।

सीपीआईएम सांसद का पीएम मोदी को कड़ा पत्र

सीपीआईएम के राज्यसभा सांसद ए. ए. रहीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर क्रिसमस के दौरान देश भर में ईसाइयों को निशाना बनाकर किए गए हमलों और घटनाओं की श्रृंखला पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है और ऐसे कृत्यों पर आधिकारिक चुप्पी तोड़ने का आह्वान किया है। अपने पत्र में रहीम ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर जम्मू के आरएस पुरा में पिछले 13 वर्षों से सेवा कर रहे मलयाली पादरी बेबी जैकब और उनके परिवार पर हुए हमले का जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे भाजपा कार्यकर्ताओं का हाथ था। रहीम ने महाराष्ट्र के एक अन्य मामले की ओर भी ध्यान दिलाया, जहां नागपुर में फादर सुधीर और उनकी पत्नी जैस्मीन को जबरन धर्मांतरण के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। रहीम ने कहा कि ये घटनाएं अलग-थलग मामले नहीं हैं और ऐसी घटनाएं देश के विभिन्न हिस्सों में ईसाई समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा और धमकियों को दर्शाती हैं।

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सांसद ने मांग की कि पादरी बेबी जैकब और उनके परिवार पर हुए हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को किसी भी प्रकार की सुरक्षा दिए बिना न्याय के कटघरे में लाया जाए। उन्होंने नागपुर में हिरासत में लिए गए फादर सुधीर और उनकी पत्नी की तत्काल रिहाई की भी मांग की।
रहीम ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे राज्य सरकारों को ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकने और सभी नागरिकों के लिए धर्म की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी करें।