कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने 8 साल पहले यानी 2016 में जीएसटी पर एक महत्वपूर्ण ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने कहा था-अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) के रूप में GST अमीर और गरीब दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। मैं GST Council से आग्रह करता हूं कि इसकी दर 18% या उससे कम रखी जाए ताकि गरीबों पर अनावश्यक बोझ न पड़े! राहुल गांधी के उस बयान का 2016 में बीजेपी और मोदी सरकार के मंत्रियों ने जमकर मजाक उड़ाया। उन्हें बीजेपी नेताओं ने पप्पू कहा था और सोनिया टैक्स कहकर ट्रोल किया था। 2016 का राहुल का ट्वीट आज भी एक्स पर बीजेपी वालों को मुंह चिढ़ा रहा है।
मोदी सरकार पर अक्सर राहुल गांधी की घोषणाओं, आइडिया को कॉपी करने के आरोप लगते रहते हैं। लेकिन जीएसटी वाला मुद्दा तो कमाल का है। पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से भी यही घोषणा कर डाली कि दिवाली तक अगली पीढ़ी के GST सुधार सिर्फ दो दरें: 5% और 18% होंगी। अक्टूबर में दिवाली से पहले जीएसटी व्यवस्था में अगली पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ, कम टैक्स बोझ आम आदमी, छोटे उद्यमियों और एमएसएमई के लिए दिवाली का उपहार होगा।
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राहुल गांधी ने 1 जुलाई को मोदी सरकार से क्या कहा था  
राहुल गांधी ने 1 जुलाई 2025 को एक्स पर एक लंबी पोस्ट लिखी। जिससे पता चलता है कि राहुल गांधी मोदी सरकार के मुकाबले कितना मनन करते हैं। उन्होंने जो लिखा, अगर उसे एक लाइन में पढ़ना है तो इस तरह पढ़ा जाएगा-  ''8 साल बाद भी मोदी सरकार का GST टैक्स सुधार नहीं। ये गरीबों के साथ अन्याय और अमीर दोस्तों को फायदा पहुंचाने का तरीका बन गया है।''  लेकिन वतर्मान संदर्भ में राहुल गांधी की 1 जुलाई की पोस्ट को पढ़ना जरूरी है।
राहुल गांधी ने 1 जुलाई को लिखा- ''GST को ऐसा बनाया गया था कि यह गरीबों को सज़ा दे, छोटे व्यापारियों (MSME) को खत्म करे, राज्यों की ताकत कम करे, और प्रधानमंत्री के कुछ अरबपति दोस्तों को फायदा पहुंचाए। सरकार ने कहा था कि GST “Good and Simple Tax” (अच्छा और आसान टैक्स) होगा। लेकिन असल में यह बहुत ही जटिल हो गया है, जिसमें 5 अलग-अलग टैक्स स्लैब हैं और अब तक इसे 900 बार बदला जा चुका है। यहां तक कि कारमेल पॉपकॉर्न और क्रीम बन जैसे सामान भी इसके उलझन भरे नियमों में फंसे हैं।''

GST का सिस्टम बड़े कारोबारियों को फायदा देता है क्योंकि उनके पास अकाउंटेंट की पूरी टीम होती है। लेकिन छोटे दुकानदार, व्यापारी और MSMEs इस सिस्टम की पेचीदगियों में उलझकर परेशान हो जाते हैं। GST पोर्टल भी रोज़ाना की टेंशन बन गया है।
GST पर राहुल गांधी
मोदी सरकार ने राहुल की बात मानी
राहुल गांधी ने यह भी कहा- MSME, जो भारत में सबसे ज़्यादा नौकरियां देते हैं, उन्हें सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है। पिछले 8 साल में 18 लाख से ज़्यादा छोटे उद्योग बंद हो चुके हैं।

नेता विपक्ष ने 1 जुलाई को लिखा था- आज आम आदमी को चाय से लेकर हेल्थ इंश्योरेंस तक हर चीज़ पर GST देना पड़ता है, जबकि बड़ी कंपनियों को हर साल ₹1 लाख करोड़ से ज़्यादा की टैक्स छूट मिलती है। 

राहुल गांधी ने एक्स पर उसी पोस्ट में लिखा- सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल को जानबूझकर GST से बाहर रखा है, जिससे किसान, ट्रांसपोर्टर और आम लोग परेशान हो रहे हैं। साथ ही, GST के बकाये पैसे देकर गैर-भाजपा शासित राज्यों को सज़ा दी जा रही है – यह मोदी सरकार के संघीय ढांचे (federalism) को कमजोर करने का सबूत है।

उन्होंने कहा- GST की सोच सबसे पहले UPA सरकार ने दी थी ताकि पूरे भारत में एक जैसा टैक्स सिस्टम हो और कारोबार आसान बने। लेकिन मोदी सरकार ने इस सोच को गलत तरीके से लागू किया है- जिससे लोगों को नुकसान, और कुछ को फायदा हो रहा है। अब ज़रूरत है एक ऐसे GST की जो आम लोगों के हित में हो, कारोबारियों के लिए आसान हो, और सभी राज्यों को बराबरी से अधिकार दे।
राहुल ने अंत में लिखा है- भारत को ऐसा टैक्स सिस्टम चाहिए जो हर नागरिक के लिए काम करे – चाहे वो दुकानदार हो, किसान हो या आम परिवार – ताकि देश की तरक्की में हर कोई भागीदार बन सके।

जीएसटी पर शनिवार को कांग्रेस ने जारी किया बयान 

कांग्रेस पार्टी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। पार्टी ने जीएसटी 2.0 पर एक श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है, ताकि कर प्रणाली की खामियों को दूर किया जा सके और इसे और अधिक सरल, पारदर्शी और प्रभावी बनाया जा सके।

कांग्रेस ने जीएसटी को लागू करने के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि मौजूदा प्रणाली ने छोटे व्यापारियों और उपभोक्ताओं पर अनावश्यक बोझ डाला है। पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि जीएसटी की जटिलताओं और बार-बार बदलते नियमों ने व्यवसायों को परेशान किया है। कांग्रेस ने इसे "अच्छा और सरल टैक्स" बनाने की जरूरत पर जोर दिया, जो व्यापारियों और आम जनता दोनों के लिए लाभकारी हो।

पार्टी प्रवक्ता ने कहा, "जीएसटी लागू होने के बाद से कई समस्याएं सामने आई हैं। सरकार को चाहिए कि वह एक श्वेत पत्र जारी करे, जिसमें जीएसटी 2.0 की रूपरेखा और इसके कार्यान्वयन की स्पष्ट योजना हो।" उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी परिषद में सभी हितधारकों के साथ चर्चा कर एक ऐसी प्रणाली बनाई जाए, जो समावेशी और व्यवहारिक हो। 
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने जीएसटी के तहत राजस्व संग्रह के लक्ष्यों को पूरा करने में विफलता दिखाई है, जिसका असर राज्यों के वित्तीय हितों पर पड़ा है। पार्टी ने मांग की कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर एक ऐसी नीति बनाए, जो सभी पक्षों के लिए लाभकारी हो। 
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यह मांग ऐसे समय में आई है, जब जीएसटी लागू होने के आठ साल बाद भी इसकी प्रभावशीलता को लेकर बहस जारी है। कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द ही सुधार नहीं किए, तो वह इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाएगी और व्यापक आंदोलन शुरू कर सकती है।