जिस आरएसएस पर कांग्रेस आज़ादी के आंदोलन में भाग नहीं लेने और अंग्रेज़ों का साथ देने का आरोप लगाती रही है उसी आरएसएस के नेताओं के बारे में पीएम मोदी ने कहा है कि देश की आजादी के लिए वे जेल में गए। दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस की स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघ के योगदान की जोरदार सराहना की। उन्होंने कहा कि आरएसएस के कई नेताओं ने देश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया और इसके लिए उनको जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा। हालाँकि, पीएम मोदी के इस भाषण के बाद कांग्रेस ने एक बयान जारी कर कहा कि "1942 में अंग्रेजों के खिलाफ शुरू हुए 'भारत छोड़ो आंदोलन' में जब पूरा देश जेल जा रहा था, तब RSS इस आंदोलन को दबाने में अंग्रेजों की मदद कर रहा था।"

कांग्रेस ने आरएसएस के बारे में क्या कहा है, यह जानने से पहले यह जान लें कि प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस की तारीफ़ में क्या क्या कहा है। नागपुर में आयोजित इस समारोह में पीएम मोदी ने आरएसएस के शताब्दी समारोह को चिह्नित करने के लिए एक विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया। पीएम ने कहा, 'भारत के इतिहास में पहली बार भारत माता की छवि को एक सिक्के पर उकेरा गया है।' सिक्के पर आरएसएस का आदर्श वाक्य 'राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय, इदं न मम' भी अंकित है, जिसका अर्थ है 'सब कुछ राष्ट्र को समर्पित, सब कुछ राष्ट्र का, कुछ भी मेरा नहीं।' पीएम ने कहा कि आरएसएस को उत्पीड़न सहना पड़ा।

'आरएसएस ने भारी उत्पीड़न सहा'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 'राष्ट्र प्रथम' की भावना के लिए आरएसएस ने ब्रिटिश शासकों और हैदराबाद के निज़ामों के हाथों भारी उत्पीड़न सहा। उन्होंने जोर देकर कहा कि संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार सहित कई स्वयंसेवकों को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल की सजा भुगतनी पड़ी।

पीएम मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस की भूमिका पर कहा, 'संघ की स्थापना के समय से ही यह संगठन राष्ट्र निर्माण के लिए प्रयासरत रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान डॉ. हेडगेवार स्वयं जेल गए और उनके साथ संगठन के कई स्वयंसेवकों ने भी कारावास सहा।' उन्होंने बताया कि आरएसएस ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की और कई स्वतंत्रता सेनानियों को आश्रय प्रदान किया।
उन्होंने कहा, "स्वतंत्रता के बाद भी हैदराबाद के निज़ामों के शासन में आरएसएस को यातनाएं सहनी पड़ीं। गोवा और दादरा-नगर हवेली की स्वतंत्रता के लिए भी संघ ने बलिदान दिए। लेकिन 'राष्ट्र प्रथम' और 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के लक्ष्य में संघ का विश्वास कभी नहीं डगमगाया।"

आपातकाल में आरएसएस

पीएम मोदी ने 1975-77 के आपातकाल का भी जिक्र किया, जब आरएसएस पर प्रतिबंध लगा था। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं में आरएसएस स्वयंसेवकों का अटूट विश्वास कभी कम नहीं हुआ। आपातकाल का विरोध करने में संघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।" 

संघ पर प्रतिबंध और षड्यंत्र

पीएम ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भी आरएसएस को मुख्यधारा में आने से रोकने के लिए अनगिनत षड्यंत्र किए गए। 

पीएम मोदी ने कहा कि प्रतिबंधों और षड्यंत्रों के बावजूद आरएसएस ने कभी समाज के प्रति कटुता नहीं दिखाई, क्योंकि हम समाज से अलग नहीं, बल्कि उसके अभिन्न अंग हैं।

RSS नेता न जेल गए, न अंग्रेज़ों ने प्रतिबंध लगाया: कांग्रेस

प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण के बीच ही कांग्रेस ने आरएसएस को देश को सिर्फ़ नुक़सान पहुँचाने वाला संगठन क़रार दिया। पार्टी ने कहा है, "आरएसएस देश को बांटने वाला संगठन: आजादी के वक्त जिसके नेता न जेल गए, न अंग्रेजों ने लगाया कभी प्रतिबंध। 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ शुरू हुए 'भारत छोड़ो आंदोलन' में जब पूरा देश जेल जा रहा था, तब आरएसएस इस आंदोलन को दबाने में अंग्रेजों की मदद कर रहा था।"

आरएसएस पर बड़े आरोप

कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा है, "आरएसएस की इस गद्दारी पर एक नारा सबकी जुबान पर था- जो देशभक्त थे, वो जंग में गए- जो गद्दार थे, वो संघ में गए! वो संगठन- जिसका एक भी नेता आजादी की लड़ाई में जेल नहीं गया। वो संगठन- जो महात्मा गांधी, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे देशभक्तों और क्रांतिकारियों को अराजक कहकर ब्रिटिश शासन के पक्ष में काम करता रहा। वो संगठन- जिसने हिंदुओं और मुस्लिमों का सांप्रदायिक विभाजन कर, देश को दो टुकड़ों में बांटकर खोखला कर दिया। वो संगठन- जिसके हाथ महात्मा गांधी के खून से लाल हैं। वो संगठन- जिसके तथाकथित वीर अंग्रेजों के मुखबिर रहे हैं, उस संगठन का नाम है- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS। आज ये RSS 100 साल का हो चुका है। मगर इस 100 साल में इन्होंने एक भी काम ऐसा नहीं किया है, जिससे देश को नुकसान छोड़ कोई फायदा हुआ हो।" पार्टी ने राहुल गांधी का एक पुराना वीडियो फुटेज शेयर किया है जिसमें वह आरएसएस को कोस रहे हैं।

कांग्रेस ने कहा

  • "ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि यहां RSS जैसे सांप्रदायिक और नफरती संगठन के कार्यकर्ता सीधे तौर पर सरकार चला रहे हैं। जो लोग संविधान की जगह शुरू से मनुस्मृति की वकालत करते रहे हैं, अब वही लोग हमारे देश में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बन रहे हैं। ऐसे में उनसे सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है।"
  • "आज जो RSS देश को राष्ट्रवाद का ककहरा सिखाता है, उस RSS ने 1925 में स्थापना के बाद से ही किसी भी ब्रिटिश-विरोधी आंदोलन (जैसे 1930 का सविनय अवज्ञा आंदोलन, 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन) में कोई भागीदारी नहीं की।"
  • "जब कांग्रेस, सोशलिस्ट, कम्युनिस्ट और अन्य क्रांतिकारी संगठनों पर बार-बार प्रतिबंध लग रहे थे, तब RSS पर ब्रिटिश शासन ने कभी कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। इनके किसी स्वयंसेवक को कभी जेल नहीं भेजा। ताकि ये लोग बाहर रहकर जनता के मन में हिंदू-मुसलमान का जहर भर सकें।"
कांग्रेस ने कहा है, 'अगर ये कहा जाए कि देश में अधिकतर समस्याओं की जड़ आरएसएस है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। जिस दिन ये संगठन देश में आग लगाकर देश को खोखला करना बंद कर दे, उसी दिन आधी से ज्यादा समस्याएं निपट जाएंगी।'