प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया साइप्रस यात्रा न केवल भारत की ग्लोबल कूटनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। बल्कि भारत ने तुर्की और पाकिस्तान के गठजोड़ को जवाब देने के लिए यह रास्ता चुना।। मोदी 15-16 जून को साइप्रस में थे। दो दशकों से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की यह पहली यात्रा थी। इस दौरान भारत ने साइप्रस के साथ अपने ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत किया, साथ ही तुर्की को एक स्पष्ट कूटनीतिक संदेश दिया। भारत ने तुर्की की एक ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी को पहले ही भारत के बाहर कर दिया। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब वही काम अडानी ग्रुप की कंपनी को मिलने जा रहा है।
पीएम मोदी साइप्रस यूं ही नहीं गए थे, कुछ नतीजा निकलेगा कूटनीतिक मुहिम का?
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- 17 Jun, 2025
प्रधानमंत्री मोदी जी 7 शिखर सम्मेलन में जाते हुए साइप्रस भी रुके थे। लेकिन इस यात्रा का रणनीतिक महत्व था। हालांकि उसकी बहुत चर्चा नहीं हुई। लेकिन उस रणनीति को जानना जरूरी है।

पीएम मोदी साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के साथ