जिस 'घुसपैठिए' शब्द का इस्तेमाल गली-मुहल्ले और राजनीतिक रैलियों में कुछ नेता 'नफ़रत' फैलाने के लिए करते रहे हैं उसका इस्तेमाल शुक्रवार को लाल किले के प्राचीर से किया गया। भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनसांख्यिकी यानी डेमोग्राफी को बदलने की एक सोची-समझी साजिश की चेतावनी दी। उन्होंने इस मुद्दे को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए 'हाई पावर डेमोग्राफी मिशन' शुरू करने की घोषणा की। इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ गई है।
लाल क़िले से PM मोदी ने किन्हें बताया ‘घुसपैठिया’, क्यों दिखाया ‘डेमोग्राफी’ का डर?
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- 15 Aug, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से 'घुसपैठियों' और जनसांख्यिकी बदलाव को लेकर सख्त संदेश दिया। जानिए इसके पीछे की राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि।

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सोची-समझी साज़िश?
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में कहा, 'मैं देश को एक चिंता और चुनौती के प्रति आगाह करना चाहता हूँ। एक सोची-समझी साजिश के तहत देश की डेमोग्राफी को बदला जा रहा है, एक नए संकट के बीज बोए जा रहे हैं। ये घुसपैठिए मेरे देश के नौजवानों की रोजी-रोटी छीन रहे हैं, हमारी बहन-बेटियों को निशाना बना रहे हैं, और भोले-भाले आदिवासियों को भ्रमित करके उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। इसे देश बर्दाश्त नहीं करेगा।'