भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सीजेआई जस्टिस बी आर गवई पर वकील के हमले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निंदा की है। पीएम ने कहा कि आज सुबह सुप्रीम कोर्ट परिसर में उन पर हुए हमले से हर भारतीय क्षुब्ध है। पीएम ने कहा कि घटना के बाद व्यक्तिगत रूप से सीजेआई गवई से फोन पर बात की और उनके शांत और संयमित रवैये की सराहना की। प्रधानमंत्री का यह बयान तब आया है जब सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथियों ने इस हमले को सही ठहराने की कोशिश की और सरकार और प्रधानमंत्री की ओर से प्रतिक्रिया नहीं आने को लेकर सवाल उठ रहे थे। हालाँकि, पीएम ने सोशल मीडिया पर सीजेआई पर किए जा रहे अनर्गल हमलों को लेकर न तो कुछ लिखा है और न ही ऐसे लोगों को चेतावनी दी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार देर शाम एक्स पर एक बयान जारी कर कहा, 'मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस बी आर गवई जी से बात की। आज सुप्रीम कोर्ट परिसर में उन पर हुआ हमला हर भारतीय को आक्रोशित करने वाला है। हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों का कोई स्थान नहीं है। यह पूरी तरह से निंदनीय है। मैंने ऐसी स्थिति में जस्टिस गवई द्वारा दिखाए गए संयम की सराहना की। यह उनकी न्याय के मूल्यों और हमारी संवैधानिक भावना को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दिखाता है।'
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान ने न केवल इस घटना की गंभीरता को दिखाया, बल्कि जस्टिस गवई के शांत और गरिमामय रुख को भी देश के सामने एक मिसाल के रूप में पेश किया। प्रधानमंत्री का यह बयान तब आया है जब सोमवार सुबह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील ने सीजेआई बीआर गवई की ओर जूता फेंका। यह सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में शायद यह पहला मामला है। इस घटना की चौतरफ़ा निंदा हुई।

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ था?

यह घटना सोमवार सुबह करीब 11:35 बजे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायालय कक्ष में घटी। सीजेआई गवई की अगुवाई वाली बेंच वकीलों द्वारा केसों की मेंशनिंग सुन रही थी तभी 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर अचानक डेस की ओर बढ़े। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, किशोर ने अपना स्पोर्ट्स शू उतारा और उसे सीजेआई की ओर फेंका। किशोर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन यानी एससीबीए के पंजीकृत सदस्य हैं।
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शुरुआती जाँच में क्या सामने आया?

सुप्रीम कोर्ट में उस समय सुनवाई चल रही थी, जब यह घटना घटी। प्रत्यक्षदर्शी वकील ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वकील की पोशाक में एक व्यक्ति ने मुख्य न्यायाधीश की ओर कुछ फेंका। बाद में सुरक्षा कर्मियों ने बताया कि वह एक जूता था। जब आरोपी को कोर्ट से बाहर ले जाया जा रहा था, तब वह कुछ नारे लगा रहा था। रिपोर्टों के अनुसार, राकेश किशोर ने कोर्ट से बाहर ले जाए जाते समय कहा, 'सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।'

सीजेआई गवई ने घटना के बाद कोर्ट में मौजूद वकीलों से कहा, 'इससे विचलित न हों। ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं।' उनकी इस शांति ने न केवल कोर्ट की कार्यवाही को सुचारू रखा, बल्कि देशभर में उनकी प्रशंसा भी हुई।
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बार काउंसिल की कार्रवाई

घटना के तुरंत बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया यानी बीसीआई ने राकेश किशोर को तत्काल प्रभाव से कानूनी प्रैक्टिस से निलंबित कर दिया है। बीसीआई चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने एक बयान में कहा, 'यह कृत्य प्राइमा फेसी कोर्ट की गरिमा के विरुद्ध है और एडवोकेट्स एक्ट, 1961 का साफ़ उल्लंघन है।' दिल्ली बार काउंसिल को निलंबन लागू करने और अनुशासनात्मक जांच शुरू करने का निर्देश दिया गया है। जांच पूरी होने तक वे किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी बयान जारी कर कहा कि ऐसे कृत्य वकालत पेशे की छवि को धूमिल करते हैं, हम जांच में पूरा सहयोग करेंगे।

घटना की जड़ खजुराहो विवाद?

यह हमला संभवतः खजुराहो मंदिर मामले से जुड़ा है। 16 सितंबर को सीजेआई गवई की बेंच ने खजुराहो के जावरी मंदिर पर याचिका की सुनवाई के दौरान कहा था, 'यह शुद्ध पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन यानी पीआईएल है। जाइए और खुद देवता से कहिए कि अब कुछ करे। आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हैं तो जाइए और प्रार्थना कीजिए।' इस पर जब प्रतिक्रिया हुई तो 18 सितंबर को सीजेआई ने स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी का गलत अर्थ निकाला गया और वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। मुख्य न्यायाधीश गवई ने साफ़ किया कि उनकी टिप्पणी इस संदर्भ में थी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को इसके रखरखाव का अधिकार क्षेत्र है।
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सीजेआई गवई का शांत रुख और पीएम मोदी की त्वरित प्रतिक्रिया इस घटना के बाद देश के सामने एक मजबूत संदेश देती है। बार काउंसिल की कार्रवाई और सुप्रीम कोर्ट की जांच यह सुनिश्चित करेगी कि दोषी को सजा मिले। यह घटना धार्मिक संवेदनशीलता और न्यायिक प्रक्रिया के बीच संतुलन की जरूरत को दिखाती है। न्यायपालिका की गरिमा और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा ही इस स्थिति से निपटने का सही रास्ता है।