हाथरस में दलित युवती के साथ हुई हैवानियत और मौत के बाद उसके गांव जा रहे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को आख़िरकार उत्तर प्रदेश पुलिस ने ग्रेटर नोएडा से आगे नहीं बढ़ने दिया। इससे पहले पुलिस ने दोनों नेताओं को हिरासत में ले लिया था। इससे नाराज होकर कांग्रेसियों ने जमकर नारेबाजी की।
गुरूवार रात को पुलिस ने राहुल-प्रियंका समेत 203 कांग्रेस नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर दी। यह एफ़आईआर ग्रेटर नोएडा के इकोटेक पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है। इसका कारण इन नेताओं और इनके समर्थकों द्वारा धारा 144 का उल्लंघन करना बताया गया है। इन नेताओं के ख़िलाफ़ आईपीसी की 332, 353 सहित कई धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया गया है। यह एफ़आईआर 153 ज्ञात और 50 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज की गई है।
शाम को पुलिस ने राहुल और प्रियंका को बिना शर्त, बिना बॉन्ड भरे छोड़ दिया। राहुल गांधी ने बॉन्ड भरने से मना कर दिया था। इसके बाद पुलिस राहुल-प्रियंका को लेकर दिल्ली आ गई।
दिन में उनके काफिले को ग्रेटर नोएडा में एक्सप्रेस-वे पर पुलिस ने रोक लिया था। इसके बाद राहुल और प्रियंका पैदल ही हाथरस की ओर बढ़ने लगे। प्रियंका और राहुल के साथ बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। डीएनडी पर भी भारी पुलिस बल तैनात था लेकिन पुलिस ने वहां से काफिले को आगे जाने दिया था।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया और राहुल गांधी के साथ धक्का-मुक्की की। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि आख़िर उन्हें पीड़िता के गांव क्यों नहीं जाने दिया जा रहा है।
'इतना मत डरो, मुख्यमंत्री महोदय!’
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि धक्का-मुक्की के दौरान राहुल गिर गए। कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं को चोट भी आई है। राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘दुख की घड़ी में अपनों को अकेला नहीं छोड़ा जाता। यूपी में जंगलराज का ये आलम है कि शोक में डूबे एक परिवार से मिलना भी सरकार को डरा देता है। इतना मत डरो, मुख्यमंत्री महोदय!’
प्रियंका ने ट्वीट कर कहा कि पुलिस ने बर्बर ढंग से लाठियां चलाईं, कई कार्यकर्ता घायल हो गए। उन्होंने लिखा कि काश यही लाठियां, यही पुलिस हाथरस की दलित बेटी की रक्षा में खड़ी होती।
उधर, हाथरस ज़िले की सीमा को सील कर दिया गया है और पूरे ज़िले में धारा 144 लगा दी गई है। इसका मतलब है कि पाँच से ज़्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते हैं। पीड़िता के साथ जिस तरह की दरिंदगी हुई व उसकी मौत के बाद जिस तरह से
उसके परिवार के साथ पेश आया गया है उससे योगी सरकार को आम लोगों के ग़ुस्से का सामना तो करना ही पड़ा है अब राजनीतिक दल भी इस मामले को ज़ोर शोर से उठा रहे हैं। हाथरस गैंगरेप मामले में चौतरफ़ा आरोप झेल रहे योगी सरकार के लिए मुश्किलें अब और भी बढ़ गई हैं।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि प्रशासन ने हाथरस में गैंगरेप पीड़िता के घर किसी के भी जाने पर रोक लगा दी है। इस तरह से कहा जा सकता है कि ज़िला प्रशासन राहुल और प्रियंका को बॉर्डर पर ही रोकने की तैयारी कर रहा है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कोरोना को इसका कारण बताया है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, हाथरस डीएम पी लक्षकार ने कहा, 'हमें प्रियंका गाँधी की यात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं है। एसआईटी आज पीड़ित परिवार के सदस्यों से मुलाक़ात करेगी, मीडिया को अनुमति नहीं दी जाएगी।'
राहुल गाँधी लगातार इस मामले पर ट्विटर पर योगी सरकार पर हमला करते रहे हैं। उन्होंने आज भी ट्वीट कर उत्तर प्रदेश में 'जंगलराज' होने, 'बेटियों पर ज़ुल्म' और 'सरकार की सीनाज़ोरी' का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि कभी जीते-जी सम्मान नहीं दिया और अंतिम संस्कार की गरिमा भी छीन ली।
हाथरस का मामला पूरे देश को झकझोर देने वाला है। पीड़िता के साथ अमानवीयता की हदें तो पार की ही गई हैं, उसकी मौत के बाद पीड़िता के परिवार वालों के साथ जिस तरह से पेश आया जा रहा है वह कम झकझोरने वाला नहीं है।
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में ज़िंदगी की जंग हार जान के बाद रेप पीड़िता के शव को घरवालों के हवाले न करते हुए पुलिस उसे 'चोर दरवाजे' से निकाल हाथरस पहुँच गयी। हाथरस में मंगलवार देर रात ढाई बजे बिना घरवालों की मौजूदगी के
पुलिस ने ही अंतिम संस्कार कर डाला। उनको चेहरा तक नहीं देखने दिया गया। पीड़िता के भाई संदीप ने कहा कि माँ अपनी बेटी का शव देखना चाहती थी और वह पुलिस से गिड़गिड़ाती रही पर पुलिस ने मुँह तक नहीं देखने दिया। उन्होंने कहा कि माँ आंचल फैलाकर भीख माँगती रही पर पुलिस ने संवेदनहीनता की हदें पार दीं।
इससे पहले दरिंदों ने 19 साल की इस लड़की के साथ
सामूहिक बलात्कार किया था और उसकी जीभ भी काट दी थी। लड़की की पीठ में भी गहरी चोटें आई थीं। पुलिस ने बताया था कि उसकी गले की हड्डी में भी चोट है क्योंकि बलात्कारियों ने चुन्नी से उसका गला घोटने की कोशिश की थी। इस घटना के बाद परिवार आरोप लगाता रहा कि पुलिस ने कार्रवाई करने में देरी की और कई दिनों बाद तक शिकायत तक दर्ज नहीं की गई। उनका आरोप था कि क्योंकि वे दलित समाज से आते हैं इसलिए उनकी कोई सुनने वाला नहीं था।