गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि गरीबी, अशिक्षा जैसी अनगिनत चुनौतियों के बाद भी 'स्पिरिट ऑफ़ इंडिया' यानी 'भारत का उत्साह' कम नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि 'हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में सफल हुए हैं क्योंकि इतने सारे पंथों और इतनी सारी भाषाओं ने हमें विभाजित नहीं किया है, उन्होंने केवल हमें जोड़ा है। यही भारत का सार है। वह सार संविधान के केंद्र में था, जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है।'