भारत-रूस के बीच शिखर सम्मेलन के दौरान कई समझौते हुए। रूस के राष्ट्रपति पुतिन और पीएम नरेंद्र मोदी ने बाद में मीडिया के सामने सारी बातें स्पष्ट कीं। रूस के साथ तेल व्यापार बंद करने के अमेरिकी दबाव के बीच, व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि वह भारत को ईंधन की "निर्बाध आपूर्ति" जारी रखेंगे। पुतिन ने कहा, "रूस तेल, गैस, कोयला और भारत के ऊर्जा विकास के लिए आवश्यक हर चीज़ का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता है।" उन्होंने आगे कहा, "हम तेज़ी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ईंधन की निर्बाध आपूर्ति जारी रखने के लिए तैयार हैं।"

रूस-भारत वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने पर विचार

पुतिन ने कहा कि दोनों पक्षों ने सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, व्यापार और संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि हम वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। पुतिन ने कहा कि रूस नई दिल्ली के साथ ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर विचार कर रहा है और उनका देश भारत को ईंधन की निर्बाध आपूर्ति के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हम छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों और तैरते परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण में सहयोग पर भी बात कर सकते हैं।
पुतिन ने रहा- "मैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, मेरे प्रिय मित्र प्रधानमंत्री मोदी और भारत की जनता को रूसी प्रतिनिधिमंडल के गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए धन्यवाद देता हूँ। प्रधानमंत्री मोदी के साथ रात्रिभोज (डिनर) पर मेरी बातचीत हमारी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के लिए बहुत उपयोगी रही। प्रधानमंत्री मोदी और मैंने एक घनिष्ठ कार्य संवाद स्थापित किया है। हम एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे, और हम व्यक्तिगत रूप से रूस-भारत संवाद की देखरेख कर रहे हैं।"
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भारत-रूस आर्थिक सहयोग पर सहमतः मोदी

पीएम मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा: "भारत-रूस 2030 तक व्यापार का विस्तार करने के लिए आर्थिक सहयोग कार्यक्रम पर सहमत हुए।" मोदी ने कहा- "भारत-रूस आर्थिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है।"

  • भारत और रूस ने पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच वार्ता के बाद बंदरगाह और शिपिंग क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए।


पीएम मोदी घोषणा की है कि मुझे खुशी है कि हम जल्द ही रूसी नागरिकों के लिए 30-दिवसीय निःशुल्क ई-पर्यटक वीज़ा और 30-दिवसीय समूह पर्यटक वीज़ा शुरू करने जा रहे हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-रूस आर्थिक साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर ले जाना अब दोनों पक्षों की साझा प्राथमिकता है। मोदी ने कहा, "पिछले आठ दशकों में, दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। मानवता को कई चुनौतियों और संकटों से गुज़रना पड़ा है। इन सबके बीच, भारत-रूस की दोस्ती ध्रुव तारे की तरह अटल रही है।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत और रूस यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

यूक्रेन पर भी बात हुई 

प्रधानमंत्री मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष पर बात की और दोनों देशों के बीच शांति की वकालत करने के अपने रुख को दोहराया। उन्होंने कहा, "हम इस मामले के शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत हमेशा से अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है और भविष्य में भी रहेगा।"

मोदी-पुतिन संयुक्त बयान की खास बातें

भारत और रूस ने व्यापार विस्तार, सह-उत्पादन और दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार करने वाले एक व्यापक कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए।

द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा: दोनों नेताओं ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार में 100 अरब डॉलर का लक्ष्य हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने प्रस्तावित भारत-ईएईयू मुक्त व्यापार समझौते की प्रगति और फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और उपभोक्ता उत्पादों में भारतीय निर्यात बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की।

ऊर्जा साझेदारी: ऊर्जा को साझेदारी के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में दोहराया गया। एजेंडे में असैन्य परमाणु सहयोग, महत्वपूर्ण खनिजों पर संयुक्त कार्य और राष्ट्रपति पुतिन द्वारा भारत को निर्बाध ऊर्जा आपूर्ति का आश्वासन शामिल था।

आतंकवाद-रोधी सहयोग: प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत और रूस आतंकवाद के खिलाफ "कंधे से कंधा मिलाकर" खड़े हैं, और कहा कि दोनों देशों पर हमले समान स्रोतों से होते हैं। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ एकीकृत वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया।

यूक्रेन संघर्ष: प्रधानमंत्री मोदी ने "शांति के पक्ष में" रहने और कूटनीति को आगे बढ़ाने के भारत के दृढ़ रुख को दोहराया। राष्ट्रपति पुतिन ने उन्हें शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में रूस के प्रयासों से अवगत कराया और चल रहे प्रस्तावों का विवरण साझा किया।

रक्षा एवं उच्च-तकनीकी सहयोग: चर्चाओं में मौजूदा सैन्य संबंधों के साथ-साथ अंतरिक्ष अन्वेषण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और जहाज निर्माण में सहयोग पर भी चर्चा हुई, जो भारत के "मेक इन इंडिया" लक्ष्यों के अनुरूप है।

श्रम गतिशीलता समझौता: दोनों पक्ष एक गतिशीलता समझौते पर काम कर रहे हैं जो कुशल और अर्ध-कुशल भारतीय श्रमिकों की रूस में सुगम आवाजाही को सक्षम बनाएगा।

वैश्विक और बहुपक्षीय जुड़ाव: भारत और रूस संयुक्त राष्ट्र, जी-20, ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन सहित अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर घनिष्ठ समन्वय बनाए रखने पर सहमत हुए।