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पीआर वाली मीडिया रणनीति के बूते चीन से लड़ना संभव नहीं: राहुल

गलवान में हुई हिंसा के बाद भारत सरकार लगातार नकारती रही कि चीन हमारी सीमा में नहीं घुसा है। तो लोगों ने सवाल पूछा कि फिर आप चीन से इतने दौर की सैन्य या राजनीतिक स्तर की वार्ता क्यों कर रहे हैं। भारतीय सेना के जवान दिन-रात मुल्क़ की सरहदों की हिफ़ाजत में खड़े हैं लेकिन सरकार के बयान इस स्थिति को साफ नहीं करते कि चीन हमारी सीमा के अंदर घुसा है या नहीं। 

2017 में चीन ने इसी तरह डोकलाम में घुसने की कोशिश की थी। ताज़ा वाक़या यह है कि जब एनडीटीवी ने यह बताया कि चीन भूटान की सीमा के दो किमी. अंदर तक घुस आया है और उसने 9 किमी. अंदर तक सड़क बना ली है, तो भारत सरकार के डोकलाम से चीन के चले जाने के दावों पर सवाल खड़े हुए। इसकी सेटेलाइट तसवीरें भी सामने आईं हैं। 

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इसी को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को मोदी सरकार पर हमला बोला है। राहुल ने लिखा, ‘चीन की भू-राजनीतिक रणनीति का मुक़ाबला पब्लिक रिलेशन से चलने वाली मीडिया की रणनीति से नहीं किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि लगता है कि इतनी साधारण सी बात को भी भारत सरकार चला रहे लोगों ने टाल दिया है। 

राहुल का यह निशाना मीडिया के उस वर्ग पर है जिसने दिन-रात यह जोरदार अभियान चलाया हुआ है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चीन भारत से थर-थर कांप रहा है। राहुल ने यह समझाने की कोशिश है कि मीडिया के इस वर्ग के द्वारा जो दिखाया जा रहा है, वह ज़मीनी हालात से उलट है। 

चीन पर भरोसा करना मुश्किल 

सीमाओं का विस्तार करने में जुटा चीन तिब्बत, ताईवान पर अवैध कब्जा करे बैठा है। वह लद्दाख और अरुणाचल को अपना हिस्सा बताता है। हाल ही में दोनों देशों की सेनाओं के पुरानी स्थिति में लौट जाने की ख़बरें आई हैं लेकिन फिर भी ड्रैगन पर भरोसा करना ख़तरे से खाली नहीं है।

लद्दाख से चीनी सेना की वापसी की ख़बरों पर देखिए वीडियो-

घुसपैठ की जानकारी हटाई 

अगस्त महीने में भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने चीन के द्वारा गलवान में आधिकारिक तौर पर घुसपैठ की बात मानी थी। रक्षा मंत्रालय ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट @DefenceMinIndia पर दी गई जानकारी में घुसपैठ को स्वीकार किया था। लेकिन यह बात प्रधानमंत्री मोदी के ‘कोई नहीं घुसा है’ वाले बयान के उलट थी। 

मंत्रालय ने पहले अपनी वेबसाइट पर लिखा था,  'वास्तविक नियंत्रण रेखा और ख़ास कर गलवान घाटी में 5 मई, 2020 से ही चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही है। चीनी सेना ने 17-18 मई, 2020 को कुगरांग नाला, गोगरा और पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर सीमा का उल्लंघन किया।' लेकिन थोड़ी देर बाद इसे वेबसाइट से हटा दिया गया। 

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इसके बाद भी राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी को घेरा था। राहुल ने ट्वीट कर कहा था, 'चीन का डट कर विरोध करना तो दूर की बात है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन का नाम तक नहीं ले रहे हैं।' राहुल ने यह भी कहा था, 'पहले भारतीय सरज़मीं पर चीनी सैनिकों के होने की बात से इनकार करने और उसके बाद उससे जुड़े क़ाग़जात को वेबसाइट से हटा देने से तथ्य नहीं बदलेंगे।'

गलवान में चीनी घुसपैठ और जवानों की शहादत को लेकर कांग्रेस का रूख़ बेहद आक्रामक रहा था। कांग्रेस ने कहा था कि 15 जून की रात के बाद से ही सीमाओं की ज़मीनी हक़ीक़त को लेकर देश के लोगों को अंधेरे में रखा गया। पार्टी ने पूछा था कि पीएम मोदी हमारे शहीदों को इंसाफ़ कैसे दिलाएंगे और कब वह गलवान में हुई हिंसा और हमारी सीमा में घुसपैठ के लिए खुलकर चीन का नाम लेंगे। राहुल ने कहा था, ‘लद्दाख के लोग कह रहे हैं कि चीन हमारी ज़मीन ले रहा है और प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमारी ज़मीन किसी ने नहीं ली है। जाहिर है, कोई न कोई झूठ बोल रहा है।’ 

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क़मर वहीद नक़वी
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