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राहुल का मोदी सरनेम वाला क्या है बयान जिसपर हुई थी सजा

राहुल गांधी ने जब 2019 में चुनाव से पहले एक रैली में प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा था तो उनको यह बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होगा कि उनको उस बयान के लिए दो साल की सजा तक हो सकती है। चुनावी रैलियों और सभाओं में अक्सर नेता विरोधी दलों के नेताओं के ख़िलाफ़ कई बार विवादित टिप्पणी कर बैठते हैं या फिर सीमा को लांघ जाते हैं। कुछ ऐसी ही टिप्पणी राहुल गांधी ने कर दी थी। 

राहुल ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कह दिया था, 'क्यों सभी चोरों का समान सरनेम मोदी ही होता है? चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो या नरेंद्र मोदी? सारे चोरों के नाम में मोदी क्यों जुड़ा हुआ है।' 

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राहुल के इस बयान का बीजेपी समर्थकों ने काफ़ी विरोध किया था। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने याचिका दायर की थी। यह मामला इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 499 और 500 के तहत अक्टूबर 2001 में दर्ज कराया गया था। 

इस मामले में सुनवाई के दौरान राहुल इससे पहले तीन बार सूरत की कोर्ट में पेश हो चुके हैं। अंतिम बार अक्टूबर, 2021 में उन्होंने कोर्ट में पेश होकर खुद को निर्दोष बताया था। इस मामले में राहुल कह चुके हैं कि जब उन्होंने मोदी सरनेम वाला बयान दिया था, तब किसी के प्रति उनके मन में दुर्भावना नहीं थी।

कोर्ट ने राहुल के साथ-साथ दो और गवाह कर्नाटक के कोलार के तत्कालीन निर्वाचन अधिकारी और भाषण रिकॉर्ड करने वाले निर्वाचन आयोग के वीडियो रिकॉर्डर के बयान दर्ज किए थे। इस मामले में राहुल से पूछताछ भी की गई थी।
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अदालत में इस मामले को उठाने वाले पूर्णेश मोदी ने कहा था कि राहुल ने उनके पूरे समाज को चोर कहा था और इससे मोदी समाज को ठेस पहुँची। हालाँकि राहुल के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया था कि राहुल के ज्यादातर भाषणों में पीएम मोदी को निशाना बनाया गया था, पूर्णेश मोदी को नहीं, इसलिए उनकी शिकायत सही नहीं है। 

मानहानि का यह मामला 4 साल से चला आ रहा था। इससे पहले 17 मार्च को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। आज इस मामले में दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई।

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क़मर वहीद नक़वी
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