अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के सरकारी नौकरियों में और प्रमोशन में आरक्षण को लेकर आये सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही एनडीए में शामिल दलों ने भी कोर्ट के इस फ़ैसले का जोरदार विरोध किया है। लोकसभा में हंगामे के बाद सदन को दोपहर 2 बजे तक के लिये स्थगित कर दिया गया।
इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि कांग्रेस इस संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला है और केंद्र सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
क्या था मामला?
मामला यह था कि उत्तराखंड सरकार ने 5 सितंबर, 2012 को सरकारी सेवाओं के सभी पद अनुसूचित जाति एवं जनजाति को आरक्षण दिए बगैर भरने का फ़ैसला किया था। मामला न्यायालय में जाने पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सरकार की अधिसूचना को खारिज कर दिया और सरकार को निर्देश दिए कि वह इन सरकारी नौकरियों की रिक्तियों में वर्गीकृत श्रेणी के मुताबिक़ आरक्षण कोटे का प्रावधान करे। उच्च न्यायालय का फ़ैसला बिल्कुल साफ था कि राज्य में अगर सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान है तो संबंधित वर्गों को आरक्षण मिलना चाहिए। सरकार ने प्रावधानों के मुताबिक़ आरक्षण नहीं दिया था। यह मामला उच्चतम न्यायालय में आया तो शीर्ष न्यायालय ने यह फ़ैसला दिया कि अनुच्छेद 16 राज्य सरकार को बाध्य नहीं करता है कि वह आरक्षण मुहैया कराए।