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राज्यसभा...उपराष्ट्रपति...नीतीश की इस भाव भंगिमा का मतलब क्या है?

इन दिनों बिहार के सीएम नीतीश कुमार अजब-गजब राजनीतिक बातें इशारों में कर रहे हैं। आज उन्होंने कहा कि वो राज्यसभा में जाना चाहेंगे। इससे पहले वो उपराष्ट्रपति पद का जिक्र कर चुके हैं जो अगले कुछ दिनों में खाली होने वाला है। अभी जब वो लखनऊ में योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे तो उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को काफी झुक कर नमस्कार किया। उनका यह अभिवादन मीडिया की सुर्खियां बन गया था।

बिहार में बीजेपी-जेडीयू का गठबंधन ठीकठाक चल रहा है। लेकिन नीतीश की भाव भंगिमा बदल रही है। उनके मुंह से आज जिस तरह राज्यसभा में जाने की बात निकली, वो एकदम से अप्रत्याशित थी।

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अगर नीतीश वाकई राज्यसभा जाते हैं तो वो लालू यादव और सुशील मोदी की तरह हो जाएंगे, जो दोनों ही संसद और विधानसभा के सभी सदनों के सदस्य रहे हैं। राज्यसभा में जाने की बात उस समय निकली जब नीतीश आज सुबह पत्रकारों से अपने दफ्तर में बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वह भी किसी समय राज्यसभा के सदस्य बनना चाहते हैं। वह अब तक बिहार विधानसभा, विधान परिषद और लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं।इस टिप्पणी के बाद अटकलें लगने लगीं कि नीतीश जो 16 साल से मुख्यमंत्री हैं, एक नई भूमिका के इच्छुक हैं। यह एक खुला रहस्य है कि उन्हें उपराष्ट्रपति का पद पसंद है, जो अगले कुछ दिनों में खाली होने वाला है।

नीतीश से पत्रकारों ने पूछा था कि क्या वह नालंदा से संसद के लिए लड़ने पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि वह वहां का लगातार दौरा कर रहे हैं। जहां से वो पांच बार जीत हासिल कर चुके हैं। सीएम ने कहा कि कोई मौका ही नहीं है। लेकिन यह पूछे जाने पर कि क्या वह राज्यसभा के सदस्य बनना चाहेंगे, उन्होंने कहा: मुझे राज्यसभा जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन अभी के लिए, मेरे पास मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां हैं। मैं 16 से मुख्यमंत्री हूं। आगे मुझे कुछ नहीं पता...

नीतीश की इस इच्छा की राजनीतिक हलकों में अलग-अलग तरह से व्याख्या की जा रही है। बिहार एनडीए के नेताओं के एक वर्ग का विचार है कि या तो उन्हें दिल्ली में एक प्रतिष्ठित पद के बारे में बताया गया है या उन्होंने बीजेपी नेतृत्व के सामने अपने पत्ते फेंके हैं कि वे इस ऑप्शन पर विचार कर सकते हैं।

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जेडीयू ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी, लेकिन बीजेपी के मुकाबले कम सीटें जीतीं और कुल मिलाकर तीसरा स्थान हासिल किया। लेकिन गठबंधन की वजह से सरकार बन गई। पिछले दो वर्षों में, बीजेपी के साथ साझेदारी तनावपूर्ण रही है। नीतीश अब कसमसाहट महसूस कर रहे हैं और ऐसा लगता है कि वो अब बिहार से हटना चाहते हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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