पहलगाम आतंकी हमले के बाद अप्रैल में पाकिस्तान भेजी गई 63 वर्षीय रक्शदां राशिद को भारत सरकार ने विशेष परिस्थितियों को देखते हुए जम्मू में अपने परिवार से मिलने के लिए वीजा देने का फैसला किया है। रक्शदां, जो जम्मू के तालाब खटिकान क्षेत्र की निवासी हैं, को 29 अप्रैल को अटारी-वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान भेज दिया गया था। उनके पति शेख जाहूर अहमद और चार बड़े बच्चे, जो भारतीय नागरिक हैं, जम्मू-कश्मीर में रहते हैं।
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वैध वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए थे और लगभग 60 लोगों को पाकिस्तान भेज दिया था। रक्शदां, जो 38 वर्षों से अपने भारतीय पति के साथ जम्मू में रह रही थीं और लंबी अवधि के वीजा (एलटीवी) पर थीं, को भी इस कार्रवाई के तहत 28 अप्रैल को 'भारत छोड़ने' का नोटिस दिया गया था। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट में इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, लेकिन 29 अप्रैल को उन्हें अटारी-वाघा सीमा पर ले जाकर पाकिस्तान भेज दिया गया।
6 जून को, जस्टिस राहुल भारती ने केंद्र सरकार को रक्शदां को वापस लाने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि उनकी स्थिति को देखते हुए उनकी निर्वासन प्रक्रिया में उचित जांच नहीं की गई। जस्टिस भारती ने कहा, "मानवाधिकार किसी व्यक्ति के जीवन का सबसे पवित्र हिस्सा हैं। ऐसी परिस्थितियों में संवैधानिक अदालत को तत्काल हस्तक्षेप करना पड़ता है।" उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि रक्शदां के पति ने बताया कि उनकी पत्नी का पाकिस्तान में कोई सहारा नहीं है और वह कई बीमारियों से पीड़ित हैं, जिसके कारण उनकी सेहत और जीवन खतरे में है।
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30 जुलाई को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि "विशेष परिस्थितियों और असामान्य तथ्यों को ध्यान में रखते हुए" सरकार ने रक्शदां को वीजा देने का सैद्धांतिक फैसला किया है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला किसी भी तरह से नज़ीर (उदाहरण) नहीं बनेगा। रक्शदां की बेटी, फातिमा शेख, ने बताया कि उनकी मां पिछले तीन महीनों से पाकिस्तान में एक छोटे से होटल में अकेले रह रही थीं और उनके पास पैसे खत्म हो गए थे।
रक्शदां के वकील, अंकुर शर्मा, ने कहा कि उन्होंने सरकार के खिलाफ कोई विरोधी रुख नहीं अपनाया और अदालत के आदेश का स्वागत किया। अब रक्शदां को इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में वीजा के लिए आवेदन करना होगा। यह कदम उनके परिवार के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो उनकी वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।