योग गुरु रामदेव ने इस बार अपना सामान बेचने के लिए हिन्दू मुस्लिम वाली राजनीति शुरू कर दी है। इस चक्कर में एक नया शब्द भी गढ़ दिया है – ‘ शर्बत जिहाद’। मामला रामदेव के वायरल वीडियो से जुड़ा हुआ है। बिजनेसमैन रामदेव की FMCG कंपनी पतंजलि ने एक नया शर्बत ब्रांड लांच किया है। इस शर्बत को लॉन्च करते हुए रामदेव ने जो टिप्पणी की है उसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। नीचे वीडियो देखिए-
रामदेव वीडियो में कहते नजर आ रहे हैं- “आप दूसरी कंपनी का शर्बत पियेंगे तो मस्जिद और मदरसे बनेंगे और यदि आप पतंजलि का गुलाब शर्बत पियेंगे तो गुरुकुल बनेंगे। इसलिए मैं कहता हूँ जैसे लव जिहाद और वोट जिहाद चल रहा है, वैसे ही शर्बत जिहाद भी चल रहा है।“ 
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रामदेव के इतना कहते ही हंगामा मच गया है। योग गुरु रामदेव पर आरोप लग रहा है कि यह उनका घटिया मार्केटिंग स्टंट है। कुछ लोग यह भी आरोप लगा रहे हैं कि रामदेव ने जान-बूझकर हिन्दू मुस्लिम किया है ताकि यह शर्बत ब्रांड उन लोगों के बीच तुरंत लोकप्रिय हो जाए जिन्हें इस्लाम से चिढ़ है। देश में हमदर्द कंपनी शरबत बेचती हैं और उनके प्रोडक्ट भारत में देश की आजादी से पहले ही बिक रहे हैं। हमदर्द का रुह अफज़ा सिर्फ भारत में ही नहीं विदेश में भी लोकप्रिय प्रोडक्ट की श्रेणी में आता है। इस कंपनी ने अपने शरबत को कभी मुस्लिम-हिन्दू नज़रिए से नहीं बेचा। इसकी दवाइयां आयुर्वेद और यूनानी पद्धति से बनती और बिकती हैं। उन्हें भी कभी हिन्दू मुस्लिम नजरिए से नहीं बेचा गया।

गौर करने वाली बात यह है कि कुछ समय से देश के दक्षिणपंथियों द्वारा जिहाद शब्द जोड़ कर अलग-अलग मुद्दों पर ध्रुवीकरण की कोशिशें की गई हैं। इनमें ‘लव जिहाद, ‘लैंड जिहाद’, ‘पॉपुलेशन जिहाद’ जैसे टर्म कई बार सुने गये हैं। अब उसी तर्ज पर रामदेव ने ‘शरबत जिहाद’ गढ़ा है।

लोगों का मानना है कि अपना शर्बत ब्रांड बेचने के लिए रामदेव जान बूझकर इस्लामिक संस्कृति से जुड़े सामानों के प्रति शंका और भय फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि रामदेव ने किसी विशेष ब्रांड का नाम नहीं लिया, परन्तु सोशल मीडिया पर लोगों ने अनुमान लगाया कि वे ‘रूह अफज़ा’ की ओर इशारा कर रहे हैं। इस शरबत को बनाने वाली हमदर्द कंपनी को एक ट्रस्ट संचालित करती है। सबसे पहले एक्स यूजर का यह ट्वीट देखिए-
सोशल मीडिया पर भी लोग रामदेव की इस बात से काफी खफा नज़र आ रहे हैं। लोग रामदेव पर नफ़रत की मार्केटिंग करने का आरोप भी लगा रहे हैं। साथ ही ऐसे सभी ब्रांड का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं जो नफरत बेचते हैं। लोगों ने यह भी सवाल उठाया है कि रामदेव अपने इस नये शर्बत के गुणों को बताने की जगह उसकी मार्केटिंग में हिन्दू-मुस्लिम क्यों कर रहे हैं? लोकगायिका नेहा सिंह राठौर ने लिखा है-
देखिए एक सोशल मीडिया यूजर ने क्या लिखा है! उन्होंने कहा-  “रामदेव अब सिर्फ़ रूह अफ़ज़ा बेचने के लिए हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेल रहे हैं। हां, पतंजलि ने एक नया शरबत लॉन्च किया है और स्वाद या गुणवत्ता के बारे में बात करने के बजाय, वे इसे “हिंदू ड्रिंक” बता रहे हैं — और मार्केटिंग में धर्म को घसीट रहे हैं। पेय पदार्थों को धर्म की ज़रूरत कब से पड़ गई? जब उत्पाद नहीं बिकते, तो नफ़रत रणनीति बन जाती है। मैंने कभी पतंजलि नहीं खरीदी। कभी नहीं खरीदूंगा। उन ब्रांडों का बहिष्कार करें जो स्वास्थ्य नहीं, बल्कि नफ़रत बेचते हैं।“

एक अन्य सोशल मीडिया यूज़र ने भी रामदेव की बात का मज़ाक उड़ाते हुए सवाल पूछा है कि यह किस तरह की मार्केटिंग हैं जिसमें शरबतों को भी सांप्रदायिक करार दिया जा रहा है। वहीं कुछ लोगों ने रामदेव से चुटकी ली है। उन्होंने तंज कसते हुए लिखा है, “गुलाब और शरबत दोनों ही शब्द अरबी हैं। बाबा रामदेव को पहले अपनी बोली सुधारनी चाहिए।”

कुछ लोगों ने रामदेव की बात का जवाब देते हुए रूह-अफ़ज़ा के बारे में भी खुलासा किया है। यह बताया गया है कि रूह अफजा किसी अरबी कंपनी का शर्बत नहीं बल्कि यूनानी पद्धति पर आधारित भारत की हमदर्द कंपनी का ब्रांड है। इसके ट्रस्ट सदस्यों में बर्मन परिवार (डाबर) भी शामिल है।  

अब इस बात पर भी गौर करना जरूरी है कि रामदेव का शर्बत ब्रांड उनकी कंपनी पतंजलि से है। उस पतंजलि से जिस पर कई तरह के कानूनी मामले पहले से दर्ज हैं। कंपनी पर केरल और उत्तराखंड में आपत्तिजनक विज्ञापन अधिनियम, 1954के तहत केस दर्ज है।

पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट सवाल उठाया चुकी है क्योंकि रामदेव की इस कंपनी ने  कोरोना की दवा के रूप में कोरोनिल नाम की दवाई पेश की थी। इसका खूब विज्ञापन भी किया था।  जब इस पर शिकायत दर्ज हुई तो पता चला इस दवाई का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि पर सवाल उठाया था। 
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इसके अलावा भी हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज का दावा पतंजलि ने कई बार किया, जिसे अदालतों ने ‘भ्रामक’ और ‘गैरकानूनी’ माना। पतंजलि पर खाद्य सुरक्षा उल्लंघन का एक मामला भी दर्ज है। हाल ही में, FSSAI ने पतंजलि के लाल मिर्च पाउडर की 4 टन खेप वापस मंगवाने का आदेश दिया क्योंकि वह मिर्च देश के फूड स्टैन्डर्ड के हिसाब से ठीक नहीं था। 
इस पर यही कहा जा सकता है कि जब रामदेव की कंपनी के सामान गुणवत्ता पर खरे नहीं उतार सके, उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम वाला घटिया ट्रिक अपनाने का फैसला कर लिया। यहाँ रणनीति सिर्फ एक है -शर्बत बेचना! 
कुछ एक्स यूजर्स की टिप्पणियां देखिए-
एक और टिप्पणी-
अमर सिंह चौहान की टिप्पणी पढ़िए-
एक्स यूजर अनुराग वर्मा ने सवाल पूछा है कि आखिर देश को कौन तोड़ रहा है। पढ़िए-
इस रिपोर्ट में चंद ट्वीट ही शामिल किए गए हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर ज्यादातर रामदेव के शब्द पर ऐतराज जता रहे हैं। लोगों का कहना है कि रामदेव को अपना शरबत बेचने का पूरा अधिकार है लेकिन दूसरे लोकप्रिय शरबत को जिहादी बताना उनके इरादों को जाहिर कर रहा है।