भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल का कहना है कि पड़ोसी देशों- बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका में हाल ही में हुए गैर-संवैधानिक शासन परिवर्तन की वजह 'खराब शासन' है। हालांकि दक्षिणपंथी संगठन इसके लिए कभी अमेरिका तो कभी भारत को वजह बता रहे थे।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने कहा है कि भारत के पड़ोसी देशों बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका में पिछले साढ़े तीन वर्षों में हुए सत्ता परिवर्तन की मुख्य वजह 'खराब शासन' (poor governance) रही है। जेन ज़ी आंदोलन से उसका कुछ भी लेना देना नहीं है।
सरदार पटेल की जयंती पर 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के मौके पर 'सरदार पटेल मेमोरियल लेक्चर' देते हुए डोभाल ने कहा कि राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया और राष्ट्र-राज्य को सुरक्षित करने में शासन एक "महत्वपूर्ण भूमिका" निभाता है।
डोभाल ने कहा, "महान साम्राज्यों, राजतंत्रों, कुलीन वर्गों, अभिजातों या लोकतंत्रों का उदय और पतन वास्तव में उनके शासन का ही इतिहास है।" उन्होंने भारत के पड़ोस में हुए बदलावों का जिक्र करते हुए कहा, "बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और अन्य जगहों पर गैर-संवैधानिक तरीकों से हुए सत्ता परिवर्तन के हालिया मामले वास्तव में खराब शासन के मामले थे।" हालांकि उस समय जब इन देशों में आंदोलन हुए थे तो उसे जेन ज़ी यानी युवकों ने किया था। जिसमें यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के छात्र थे। बांग्लादेश में शेख हसीना को तख्ता पलट के बाद देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी। नेपाल और श्रीलंका में नेतृत्व बदल गया।
पड़ोसी देशों को लेकर उनकी यह टिप्पणी बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा अपनी पार्टी अवामी लीग के समर्थकों से फरवरी 2026 के चुनाव का बहिष्कार करने के आग्रह के कुछ ही समय बाद आई है। डोभाल ने जोर देकर कहा कि किसी भी राष्ट्र के लक्ष्यों और आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए शासन का सुदृढ़ होना बहुत ज़रूरी है।
बांग्लादेश में क्या हुआ था
बांग्लादेश में 2024 के सत्ता परिवर्तन की मुख्य वजह जनरेशन जेड (जेन जी) था। जिसने नौकरी कोटे के खिलाफ शुरू हुए छात्र आंदोलन को एक बड़े क्रांतिकारी आंदोलन में बदल दिया। जुलाई 2024 में ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध शुरू किया, जो जल्द ही पूरे देश में फैल गया। जब सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया और पुलिस ने हिंसक दमन किया, जिसमें सैकड़ों युवाओं की मौत हुई, तो जेन ज़ी ने सोशल मीडिया (जैसे फेसबुक) का इस्तेमाल कर जनता को संगठित किया। यह "जेन ज़ी क्रांति" के नाम से जानी गई, जिसने प्रधानमंत्री शेख हसीना को 5 अगस्त 2024 को इस्तीफा देने और देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। युवाओं की डिजिटल सक्रियता और साहस ने 15 वर्षों की तानाशाही को उखाड़ फेंका, जो बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और असमानता से नाराज पीढ़ी का प्रतीक बनी।
नेपाल में क्या हुआ था
नेपाल में 2025 के सत्ता परिवर्तन में भी जेन जी की भूमिका निर्णायक रही, जहां सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ दो दिनों के अंदर प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की सरकार गिर गई। सितंबर 2025 की शुरुआत में सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसे युवाओं ने अपनी आवाज दबाने का प्रयास माना। 24 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता सुजाता पांडे जैसे जेन जी ने वीडियो के जरिए भ्रष्टाचार, "नेपो किड्स" (राजनेताओं के बच्चों की विलासिता) और बेरोजगारी (20.8% युवा बेरोजगारी) के खिलाफ मार्च का आह्वान किया। 8-9 सितंबर को काठमांडू और अन्य शहरों में हजारों युवाओं ने संसद भवन और नेताओं के घरों पर हमला किया, जिसमें 70 से अधिक मौतें हुईं। सेना के हस्तक्षेप से ओली ने इस्तीफा दिया, और अंतरिम सरकार बनी, जो दक्षिण एशिया में जेन जेड विद्रोह की लहर का हिस्सा थी।
श्रीलंका में क्या हुआ था
श्रीलंका में हालांकि 2024 में कोई नया सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ, लेकिन 2022 के "अरगलाया" आंदोलन ने जेन जी को राजनीतिक शक्ति का प्रतीक बनाया, जो 2024 के चुनावों में प्रगतिशील गठबंधन की जीत का आधार बना। आर्थिक संकट (मुद्रास्फीति, ईंधन की कमी) के खिलाफ युवाओं ने मार्च 2022 में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ विरोध शुरू किया, जो सोशल मीडिया से प्रेरित था। जेन जी ने #GoHomeGota जैसे हैशटैग से वैश्विक समर्थन जुटाया, जिससे राजपक्षे परिवार की सत्ता समाप्त हुई। 2024 में इसकी विरासत ने सत्ता परिवर्तन को मजबूत किया, जहां युवा मतदाताओं ने भ्रष्टाचार-विरोधी नीतियों का समर्थन किया। दक्षिण एशिया में जेन जी की यह लहर असमानता और लोकतंत्र की गिरावट के खिलाफ एक नई राजनीतिक चेतना है।
चीन पर भी बोले डोभाल
डोभाल ने कहा कि भारत का चीन के साथ सीमा और रक्षा गतिविधियों पर कुछ विवाद हैं, लेकिन व्यापार जैसे संबंधों के अन्य पहलू भी हैं, जहां नई दिल्ली और बीजिंग सहयोग करना जारी रखे हुए हैं। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा: "चीन महत्वपूर्ण है। हमारी सीमाओं पर कुछ विवादित क्षेत्र हैं। हमें उनकी कुछ रक्षा गतिविधियों को लेकर चिंता है। लेकिन उनके साथ व्यापार जैसे अन्य क्षेत्र भी हैं... जहाँ तक संभव है, हम सहयोग करने का प्रयास कर रहे हैं।"
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत और चीन 2020 की गर्मियों में गलवान में हुई सैन्य झड़पों के बाद बिगड़े संबंधों को स्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। डोभाल, जो सीमा मुद्दे पर भारत के विशेष प्रतिनिधि भी हैं, ने पिछले एक दशक में अपने समकक्ष वांग यी के साथ लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद का समाधान खोजने के लिए नई दिल्ली की वार्ता का नेतृत्व किया है। डोभाल पिछले दिसंबर में वांग से मिलने बीजिंग गए थे और अगस्त में विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता के तहत नई दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री की मेज़बानी की थी।