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सबरीमला अकेला मंदिर नहीं जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है

केरल के सबरमला स्थित भगवान अयप्पा का मंदिर वह अकेला मंदिर नहीं, जहाँ महिलाओं को प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। ऐसे और कई मंदिर हैं। हर मंदिर के पीछे कोई न कोई मिथक है, कोई न कोई कहानी है, जिस आधार पर महिलाओं को प्रवेश से रोका गया है। लेकिन क्या उसके पीछे पुरुषवादी मानसिकता नहीं है जो महिलाओं को कमतर आँकता है?
पवन उप्रेती
सबरीमला का अयप्पा मंदिर देश का अकेला मंदिर नहीं है, जहां महिलाओं को नहीं घुसने दिया जाता है। बड़े ऐसे कई मंदिर हैं, जहां ऐसा होता है। कुछ मंदिर ऐसे हैं जहां माहवारी के दौरान उन्हें मंदिर के अंदर नहीं जाने को कहा जाता है। कुछ ऐसे भी हैं, जहां माहवारी उम्र की महिलाओं को कभी भी मंदिर में नहीं जाने दिया जाता है।

पटबउसी सत्र मंदिर

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Sabarimala not only temple to ban women entry in india - Satya Hindi
असम के बरपेटा ज़िले में बने पटबउसी सत्र मंदिर में भी ‘पवित्रता’ की रक्षा करने के लिए महिलाओं को मंदिर के अंदर नहीं जाने दिया जाता है। साल 2010 में तत्कालीन राज्यपाल जानकी बल्लभ पटनायक जब बरपेटा गए तो उन्होंने वहां के लोगों से बात कर दवाब डाला कि महिलाओं को भी अंदर जाने दिया जाए। उनके साथ गईं 20 महिलाओं को मंदिर में जाने दिया गया था। पर उसके बाद फिर महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। यह रोक बरक़रार है। 

कार्तिकेय मंदिर, पुष्कर

राजस्थान के पुष्कर में बने कार्तिकेय मंदिर में भी महिलाओं के जाने पर रोक है। यहां भगवान कार्तिकेय के ब्रह्मचारी रूप की पूजा होती है। मान्यता है कि ब्रह्मचारी होने की वज़ह से भगवान किसी महिला के अंदर जाने से उसे आशीर्वाद देने के बदले उसे शाप दे देते हैं। इस कारण औरतों को अंदर नहीं  जाने दिया जाता है।

रनकपुर मंदिर, राजस्थान

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राजस्थान के पुष्कर में बने कार्तिकेय मंदिर में भी महिलाओं के जाने पर रोक है। यहां भगवान कार्तिकेय के ब्रह्मचारी रूप की पूजा होती है। मान्यता है कि ब्रह्मचारी होने की वज़ह से भगवान किसी महिला के अंदर जाने से उसे आशीर्वाद देने के बदले उसे शाप दे देते हैं। इस कारण औरतों को अंदर नहीं  जाने दिया जाता है।

शिंगनापुर शिव मंदिर, राजस्थान

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महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में स्थित यह शनि मंदिर महिलाओं के प्रवेश रोकने की वज़ह से विवाद में रहा। लंबे आंदोलन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मंदिर में स्त्रियों के दाख़िले पर लगी रोक हटा दी। उसके बाद भी महिलाओं को काफ़ी ज़द्दोजहद करनी पड़ी थी। लेकिन, अब यहां औरतों के प्रवेश पर कोई रोक नहीं है।

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल

केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में भी महिलाएं एक सीमा तक ही जा सकती हैं। उन्हें मंदिर के मुख्य द्वार पर कोई नहीं रोकता। पर वे गर्भ गृह के अंदर नहीं जा सकती। साल 2012 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की एक महिला कर्मचारी सरकार कामकाज के लिए मंदिर गई थी, उसे उस जगह जाने से रोक दिया गया था, जहां मंदिर की तिजोरी तक नहीं जाने दिया गया था।
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जैन मंदिर, गुना

मध्य प्रदेश के गुना ज़िले में बने जैन मंदिर में स्त्रियों को कड़ी शर्तों के साथ ही प्रवेश मिलता है। यह कहा जाता है कि वे कोई पश्चिमी पोशाक न पहनें, साड़ी पहनें। किसी तरह का मेकअप न करें, लिपस्टिक तक न लगाएं। 
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