आजकल बनारस के गांधी वाले फिल्म `तीसरी कसम’ को बहुत याद कर रहे हैं। फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी मारे गए गुलफाम उर्फ तीसरी कसम पर निर्माता शैलेंद्र और निदेशक की फिल्म में नायक राजकपूर तीन कसमें खाता है। एक तो चोरी का माल नहीं खरीदेंगे, दूसरा अब बैलगाड़ी पर बांस नहीं लादेंगे, तीसरा किसी बाई को अपनी गाड़ी पर नहीं बिठाएंगे। इसी तर्ज पर वे चार कसमें खा रहे हैं। एक यह कि किसी संघी संत पर यकीन नहीं करेंगे। दूसरी आपस में अब लड़ेंगे नहीं। तीसरी संघियों से आजीवन लड़ेंगे और चौथी अब भांग पीकर सांसद नहीं चुनेंगे।