सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर सुनवाई के दौरान केंद्र की दलीलों पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि यदि राज्यपालों को विधानसभाओं द्वारा पारित बिलों को मंजूरी रोकने का खुली छूट है तो इसमें कुछ हद तक दिक्कतें हैं क्योंकि इससे मनी बिल सहित सभी प्रकार के बिलों को रोका जा सकता है। अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 200 की व्याख्या करते हुए यह बात कही। यह अनुच्छेद राज्यपालों को बिलों पर मंजूरी देने, रोकने या राष्ट्रपति के विचार के लिए भेजने की शक्ति देता है।