loader

SC: बीबीसी पर प्रतिबंध लगानेे की मांग वाली याचिका खारिज 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री विवाद पर बीबीसी पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए का कि यह पूरी तरह से गलत है औऱ याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में डॉक्यूमेंट को लेकर बीबीसी पर बैन लगाने की मांग की गई थी।  
याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने दावा किया था कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में भारत-विरोधी स्टैंड लिया। डॉक्यूमेंट्री में गुजरात दंगो के लिए प्रधान मंत्री की आलोचना की गई थी। इसने भारत में सुर्खियां बटोरीं। यह डॉक्यूमेंट्री आगे बढ़ रहे भारत के खिलाफ गहरी साजिश का नतीजा है। जोकि भारत औऱ मोदी विरोधी साजिश का परिणाम है।  
जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की बैंच ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से संबंधित दो याचिकाएं कोर्ट में पेंडिग थी। पहली बीबीसी पर प्रतिबंध की मांग वाली थी, दूसरी सोशल मीडिया पर लिंक हटाए जाने को लेकर प्रशांत भूषण, एन. राम और महुआ मोइत्रा की याचिका थी।
ताजा ख़बरें
याचिकाकर्ता की वकील पिंकी आनंद ने कहा जस्टिस सुंदरेश द्वारा याचिका को गलत कहने के जवाब में कहा कि डॉक्यूमेंट्री के जारी किए जाने की पृष्ठभूमि को देखा जाए है। भारत आज मजबूत स्थिति में है, उभरती हुई महाशक्ति है। यूके का प्रधानमंत्री एक भारतीय है। भारत एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है।"
इस पर जस्टिस खन्ना ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि इस पर कैसे बहस हो सकती है? आप चाहते हैं कि हम पूरी तरह से सेंसरशिप लगा दें? यह क्या है?"
पिछले हफ्ते अदालत ने इस विषय पर दो अन्य याचिकाओं पर सुनवाई की - जिसमें एक तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा, पत्रकार एन राम और अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दायर की गई थी, इसमें   सरकार से डॉक्यूमेंट्री का लिंक शेयर कर रहे ट्वीट्स को हटाने के अपने फैसले का रिकॉर्ड पेश करने को कहा था। इसके लिए सरकार को तीन हफ्ते का समय दिया गया था और मामले को अप्रैल के लिए स्थगित कर दिया गया था।
देश से और खबरें
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' - मोदी द्वारा 2002 के गुजरात दंगों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर  गुजरात दगों से निपटने में उनकी भूमिका पर सवाल उठाती है।  सरकार ने ट्विटर और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को डॉक्यूमेंट्री के लिंक को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था, जिसे विदेश मंत्रालय ने एक प्रोपेगेंडा पीस कहकर खारिज किया था, जो औपनिनेशिक मानसिकता को दर्शाता है।
सरकार के प्रतिबंध लगाने के बाद से विश्वविद्धयालयों सहित कई जगहों पर इसका सार्वजनिक प्रदर्शन किया था।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें