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पेगासस- पैनल ने की 29 मोबाइल की जाँच, 4 हफ़्ते में दे रिपोर्ट: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी समिति को पेगासस जांच मामले पर रिपोर्ट जमा करने के लिए 4 हफ़्ते का और समय दिया है। अदालत ने रिपोर्ट जमा करने के लिए समय इसलिए बढ़ाया कि तकनीकी समिति ने इसके लिए आग्रह किया था। इससे पहले फ़रवरी में इस तकनीकी समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट अदालत को सौंप दी थी, लेकिन कमेटी ने इस मामले में अपनी जांच को पूरी करने के लिए कुछ और वक्त मांगा था। 

सीजेआई एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि उसे समिति से अंतरिम रिपोर्ट मिली है, जिसने मालवेयर संक्रमण के संदिग्ध 29 मोबाइल उपकरणों की जाँच की है। हालाँकि, समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए मई 2022 के अंत तक का समय मांगा है।

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लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सीजेआई रमना ने कहा, "उन्होंने 29 मोबाइलों की जांच की है। उन्होंने अपना खुद का सॉफ्टवेयर विकसित किया है। उन्होंने सरकार और पत्रकारों सहित एजेंसियों को भी नोटिस जारी किए हैं। इसने अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए समय मांगा है। अब, यह प्रक्रिया में है। हम उन्हें समय देंगे।' 

पीठ ने हालाँकि याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा अंतरिम रिपोर्ट उपलब्ध कराने के अनुरोध पर कोई आदेश पारित नहीं किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का विरोध करते हुए कहा कि यह केवल एक अंतरिम रिपोर्ट है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने समिति को मोबाइल उपकरणों की जाँच में तेजी लाने का निर्देश दिया है, बेहतर होगा कि 4 सप्ताह में हो। इसने यह भी निर्देश दिया है कि समिति निगरानी कर रहे न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यूयाधीश आरवी रवींद्रन को एक रिपोर्ट भेजें। 
निगरानी करने वाले न्यायाधीश अपनी टिप्पणियों को रिपोर्ट में जोड़ेंगे और उसके बाद एक रिपोर्ट पेश करेंगे। गर्मी की छुट्टियों के बाद कोर्ट के दोबारा खुलने के बाद इस मामले पर जुलाई में विचार किया जाएगा।
कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था और कमेटी से मामले की जल्द से जल्द जांच करने को कहा था। कमेटी में डॉ. नवीन कुमार चौधरी, डॉ. प्रभाहरन पी. और डॉक्टर अश्निन अनिल गुमस्ते को शामिल किया गया था। 
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सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया आरोप लगाए जाने के बाद जांच समिति का गठन किया था। बोलने की आज़ादी, प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व पर जोर देते हुए और अनधिकृत निगरानी के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए सीजेआई एनवी रमना के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा था कि राज्य द्वारा उठाया गया राष्ट्रीय सुरक्षा का आधार न्यायिक समीक्षा को पूरी तरह से दरकिनार नहीं कर सकता है। केंद्र सरकार ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया था कि क्या उसने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया था। उसने कहा था कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है।
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क़मर वहीद नक़वी
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