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सुप्रीम कोर्ट से पतंजलि की माफी खारिज, 'जानबूझकर आदेश का उल्लंघन किया'

भ्रामक विज्ञापन के मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को झटका लगा है। माफी के लिए लगातार गिड़गिड़ाने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया और इसने उनकी माफी को खारिज कर दिया। दोनों ने बिना शर्त माफी का हलफनामा दायर किया था।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि उनकी हरकतें शीर्ष अदालत के आदेशों का जानबूझकर और बार-बार उल्लंघन करने वाली थीं। पतंजलि संस्थापकों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि लोग जीवन में गलतियां करते हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने वकील को फटकार लगाते हुए जवाब दिया कि ऐसे मामलों में व्यक्तियों को कष्ट उठाना पड़ता है। पीठ ने कहा, 'हम अंधे नहीं हैं। हम इस मामले में उदार नहीं बनना चाहते।'

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जब रामदेव और आचार्य की ओर से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि माफी बिना शर्त थी तो न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, 'अदालत में गलती पकड़े जाने के बाद वे केवल कागज पर हैं। वह इतने मुश्किल में हैं कि हालात से बचने के लिए ऐसा करने को मजबूर हैं। हम इसे स्वीकार नहीं करते, अस्वीकार करते हैं। हम इसे जानबूझकर की गई अवमानना मानते हैं।'

सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी कर पूछा था कि उसके निर्देशों का कथित उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। इस नोटिस के जवाब में उन्होंने माफी मांगी थी। पिछली सुनवाई में भी उनकी माफी को खारिज कर दिया गया था और फिर से हलफनामा दायर करने को कहा गया था। 

अवमानना का मामला एलोपैथी पर हमला करने वाले और कुछ बीमारियों के इलाज के दावे करने वाले पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद बना है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर पतंजलि ने पिछले नवंबर में आश्वासन दिया था कि वह ऐसे विज्ञापनों से परहेज करेगी।
यह देखते हुए कि भ्रामक विज्ञापन जारी रहे, 27 फरवरी को कोर्ट ने पतंजलि और उसके एमडी बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया था। इसके अलावा इसने पतंजलि को अपने उत्पादों का विज्ञापन या ब्रांडिंग करने से रोक दिया था।

मार्च में अवमानना नोटिस का जवाब दाखिल नहीं किया गया था। इसको लेकर पतंजलि एमडी के साथ-साथ बाबा रामदेव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा गया था। इसके बाद पतंजलि एमडी ने एक हलफनामा दायर कर कहा था कि विवादित विज्ञापनों में केवल सामान्य बयान थे और अनजाने में आपत्तिजनक वाक्य भी शामिल हो गए थे। 

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कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगाए जाने के बाद दायर एक ताज़ा हलफनामे में रामदेव ने 'भविष्य में और अधिक सतर्क रहने' का वादा किया।

हलफनामा में कहा गया है, 'मैं विज्ञापनों के मुद्दे के संबंध में अपनी बिना शर्त माफी मांगता हूं।' इसमें 21 नवंबर के आदेश को लेकर पतंजलि से चूक होने पर गहरा अफसोस जताया गया है। इसमें कहा गया है कि 'मैं माननीय अदालत को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी।' उन्होंने अदालत से अदालत में दिए गए बयान के उल्लंघन के लिए माफ़ी मांगी और हमेशा कानून की महिमा और न्याय की महिमा को बनाए रखने का संकल्प लिया। आचार्य बालकृष्ण ने भी भविष्य में कोई भी ऐसे आपत्तिजनक विज्ञापन जारी नहीं करने का संकल्प लिया।

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'कोर्ट से पहले मीडिया में पहुँच गया हलफनामा'

अदालत पहुँचने से पहले हलफनामा मीडिया में पहुँचने पर भी अदालत ने पतंजलि पर नाराज़गी जताई। बुधवार को कार्यवाही की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि रामदेव और बालकृष्ण ने पहले मीडिया को माफी भेजी। न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, 'जब तक मामला अदालत में नहीं आया, अवमाननाकर्ताओं ने हमें हलफनामा भेजना उचित नहीं समझा। उन्होंने इसे पहले मीडिया को भेजा, कल शाम 7.30 बजे तक यह हमारे लिए अपलोड नहीं किया गया था। वे साफ़ तौर पर प्रचार में विश्वास करते हैं।'

पतंजलि संस्थापकों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह रजिस्ट्री की ओर से नहीं बोल सकते और माफी मांगी जा चुकी है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार जैसे ही उन्होंने हलफनामे पढ़े, जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, 'आप हलफनामे से भी धोखाधड़ी कर रहे हैं। इसे किसने तैयार किया, मैं स्तब्ध हूं।' रोहतगी ने कहा कि एक चूक हुई।

पतंजलि की ओर से सफाई पर अदालत ने कहा कि बड़े पैमाने पर समाज में एक संदेश जाना चाहिए। इसने कहा कि यह सिर्फ एक एफएमसीजी के बारे में नहीं है, बल्कि कानून के उल्लंघन के बारे में है।

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क़मर वहीद नक़वी
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