बिहार SIR में अंतिम मतदाता सूची पर सुप्रीम कोर्ट को भी भ्रम है। अदालत ने चुनाव आयोग से साफ़ करने को कहा है कि क्या अंतिम सूची में जोड़े गए नए नाम वे ही हैं जो पहले ड्राफ्ट सूची से हटा दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बिहार की मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों के बीच आई है, जहां लाखों नामों की हटाने-जोड़ने की प्रक्रिया पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लग रहा है। दो दिन पहले ही मुख्य चुनाव आयुक्त ने दावा किया है कि बिहार में मतदाता सूची पूरी तरह शुद्ध हो गई है और यह प्रक्रिया 22 साल बाद की गई है।
ECI का बिहार में मतदाता सूची का ये कैसा 'शुद्धिकरण' कि सुप्रीम कोर्ट भी भ्रम में!
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- 7 Oct, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह साफ़ नहीं है कि मतदाता सूची में जोड़े गए नाम उन्हीं लोगों के हैं जिन्हें पहले हटाया गया था या नहीं।

जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा, 'अंतिम सूची में जो नाम जोड़े गए हैं, वे पहले हटाए गए नामों के हैं या नहीं, इस पर स्पष्टता होनी चाहिए। पारदर्शिता के बिना यह प्रक्रिया संदेहास्पद बनी रहेगी।' हफ़्ते भर पहले चुनाव आयोग ने अंतिम मतदाता सूची जारी की थी जिसमें एसआईआर शुरू करने के बाद से इसने क़रीब 68.5 लाख मतदाता हटाए हैं, जबकि 21.5 लाख वोटर जोड़े हैं। अंतिम मतदाता सूची के अनुसार अब बिहार में कुल 7.42 करोड़ मतदाता हैं, जबकि एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने से पहले 24 जून 2025 तक 7.89 करोड़ मतदाता थे।