सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच
सेबी स्टाफ ने गुरुवार को मुंबई दफ्तर पर मौन प्रदर्शन कर सेबी प्रमुख का इस्तीफा मांगा।
सेबी स्टाफ ने यह पत्र 6 अगस्त को वित्त मंत्रालय को भेजा था। इसमें अधिकांश अफसरों के हस्ताक्षर हैं। पत्र में कहा गया है, "सेबी चीफ का बैठकों में चिल्लाना, डांटना और सार्वजनिक अपमान आम बात हो गई है।" यह पत्र एक महीने बाद ऐसे समय में सामने आया है जब सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच अडानी जांच पर हितों के टकराव के आरोपों का सामना कर रही हैं। विपक्ष ने बुच की पिछली कंपनी आईसीआईसीआई बैंक द्वारा उन्हें दिए गए मुआवजे पर सवाल उठाए हैं। पूर्व राज्यसभा सांसद और जी ग्रुप के संस्थापक सुभाष चंद्रा ने मंगलवार को उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये थे। हालांकि बुच ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है।
सेबी में ग्रेड ए और उससे ऊपर (सहायक प्रबंधक और उससे ऊपर) के लगभग 1,000 अधिकारी हैं और उनमें से आधे, लगभग 500, ने उस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। यानी सेबी के 50% लोग सेबी चीफ के व्यवहार और तरीके से खुश नहीं हैं। अगर यही आरोप सेबी के 10-20 या 50 लोगों ने लगाये होते तो उस पर कोई विश्वास नहीं करता। लेकिन यहां तो सेबी चीफ के खिलाफ आधे कर्मचारी और अफसर विद्रोह पर उतर आये हैं।
सेबी दफ्तर के अंदर प्रबंधन ने "कर्मचारियों की दिन भर हाजिरी की निगरानी करने" और "उनकी हर गतिविधि पर नजर रखने" के लिए टर्नस्टाइल गेट लगाए हैं। ये टर्नस्टाइल गेट कर्मचारियों के लिए चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। इससे उनकी देखने और सुनने की क्षमता प्रभावित हो रही है।