भड़काऊ टिप्पणी की आरोपी शर्मिष्ठा पनोली को जमानत मिल गई है। लेकिन पिछली तारीख को बेल न देने वाले जज को सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकियां दी गईं।
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को अदालत ने गुरुवार 5 जून को अंतरिम जमानत दे दी। अदालत ने अंतरिम जमानत मंजूर करते समय दो शर्ते भी लगाईं। अदालत ने उन्हें बिना चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अनुमति देश छोड़ने पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने उन्हें 10 हजार के बेल बॉन्ड भरने का निर्देश दिया। हालांकि कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर गुमनाम हैंडल्स से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब जज ने 3 जून को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। पनोली पर एक वायरल वीडियो में समुदाय विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने का आरोप है। जज को धमकी देने वाले अधिकांश एक्स हैंडल गुमनाम हैं, जिनमें प्रोफाइल तस्वीरें या वास्तविक पहचान तक नहीं है।
3 जून को जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस चटर्जी ने कहा, "शर्मिष्ठा का वीडियो सोशल मीडिया पर बनाया गया था, इसे सुना गया, और इस घटना से लोगों के एक वर्ग की भावनाएं आहत हुई हैं।" उन्होंने भारत की विविधता का हवाला देते हुए कहा, "हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएं।" इस बयान को कई X यूजर्स ने गलत तरीके से लिया। एक यूजर, सेंटिनल, ने लिखा, "उम्मीद है कि 'जज को जमानत न देने के नतीजों के बारे में सोचना चाहिए था' ऐसी स्थिति न बने, क्योंकि उन्हें धमकियां मिल रही हैं।"
पुणे लॉ यूनिवर्सिटी की 22 वर्षीय छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को 30 मई को गुड़गांव से कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ कोलकाता के गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में 15 मई को दर्ज एक शिकायत के आधार पर कार्रवाई हुई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनके इंस्टाग्राम वीडियो में इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां थीं, साथ ही बॉलीवुड हस्तियों की ऑपरेशन सिंदूर पर चुप्पी की आलोचना की गई थी। पनोली ने बाद में वीडियो हटा लिया और X पर बिना शर्त माफी मांगी, लेकिन तब तक कई FIR दर्ज हो चुकी थीं।
पनोली की गिरफ्तारी ने राजनीतिक और सामाजिक तूफान खड़ा कर दिया। बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने उनकी गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा, "शर्मिष्ठा ने कुछ अप्रिय शब्दों का इस्तेमाल किया, लेकिन उन्होंने माफी मांग ली। उन्हें और परेशान करने की जरूरत नहीं।" बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस पर हिंदू आवाजों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। वहीं, AIMIM प्रवक्ता वारिस पठान ने वीडियो को इस्लाम के खिलाफ बताते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की थी।
पनोली के वकील, मोहम्मद शमीमुद्दीन, ने गिरफ्तारी में कई खामियों का आरोप लगाया और कहा कि उनकी मुवक्किल एक "अच्छी छात्रा" है। उन्होंने यह भी बताया कि पनोली को अलीपुर महिला सुधार गृह में खराब स्वच्छता और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। कोर्ट ने सभी FIR को एक ही जगह करने का आदेश दिया है और 5 जून को अगली सुनवाई के लिए केस डायरी पेश करने को कहा था।
दूसरी ओर, पनोली के खिलाफ शिकायत दर्ज करने वाले कोलकाता के वजाहत खान को धमकियां मिल रही हैं। उनके पिता, सादत खान, ने दावा किया कि वजाहत रविवार रात से "लापता" हैं। श्रीराम स्वाभिमान परिषद ने वजाहत के खिलाफ गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराई है, जिसमें उन पर हिंदू समुदाय और उनके देवताओं के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट करने का आरोप है।
बहरहाल, X पर कई पोस्ट में जस्टिस चटर्जी को निशाना बनाया गया, जिसमें कुछ ने हिंसा की धमकी दी और उनकी निजी जानकारी साझा करने की कोशिश की। जांच में पाया गया कि ये धमकियां गुमनाम अकाउंट्स से आ रही हैं, जिनमें से कुछ ने अमेरिकी सीईओ की हत्या के आरोपी लुइगी मंगियोन का हवाला देते हुए "अज्ञात बंदूकधारियों" की बात कही। यानी सीईओ को अज्ञात लोगों ने मार दिया था। जिसमें सिर्फ एक आरोपी लुइगी मंगियोन पकड़ा गया।
यह मामला न सिर्फ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक भावनाओं के बीच तनाव को उजागर करता है, बल्कि सोशल मीडिया पर बढ़ती हिंसक धमकियों और गुमनाम ट्रोलिंग की समस्या को भी सामने लाता है। कोलकाता पुलिस और हाईकोर्ट अब इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस तरह की धमकियां न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करेंगी?