ग़ज़ा पीस समिट के लिए जब मिस्र के शर्म एल-शेख में डोनाल्ड ट्रंप, कीर स्टार्मर, इमैनुएल मैक्रों, एंटोनियो गुटेरेस जैसे वैश्विक नेता जुट रहे हैं तो वहाँ प्रधानमंत्री मोदी नहीं होंगे। ऐसा नहीं है कि इसके लिए भारत के प्रधानमंत्री को निमंत्रण नहीं मिला था। निमंत्रण मिला तो विदेश राज्य मंत्री किर्ति वर्धन सिंह को भेजने का फ़ैसला लिया गया। तो क्या इतने बड़े वैश्विक नेताओं के बीच पीएम मोदी का नहीं जाना और इसकी जगह राज्य मंत्री को भेजना अवसर गँवाने जैसा है? कम से कम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने तो कुछ ऐसा ही कहा है।
ग़ज़ा शांति समिट में मोदी का नहीं जाना रणनीतिक संयम या गँवाया हुआ अवसर? थरूर ने किया सवाल
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- 13 Oct, 2025
ग़ज़ा शांति समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सवाल उठाया है। क्या यह भारत की विदेश नीति में रणनीतिक संयम है या एक गँवाया हुआ अवसर?

दरअसल, मिस्र के शर्म एल-शेख में ग़ज़ा शांति शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस जैसे वैश्विक नेता जुटे हैं। भारत की ओर से विदेश राज्य मंत्री किर्ति वर्धन सिंह को विशेष दूत के रूप में भेजा गया है। उनके बीच भारत का प्रतिनिधित्व मात्र राज्य मंत्री स्तर पर होना एक बड़ा सवाल खड़ा कर गया है। इस फैसले पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तीखा सवाल उठाया- 'रणनीतिक संयम या गँवाया हुआ अवसर?'