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महाबचतः आर्मी, एयरफोर्स और नेवी में कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती होंगे जवान और अफसर !

सेना में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर जवानों की भर्तियां शुरू हो सकती है। इससे युवकों के लिए रोजगार के अवसर तो बढ़ेंगे ही, साथ ही सरकार को इससे बहुत बड़ा फायदा भी होगा। सशस्त्र बलों से रिटायर होने वाले सैनिकों को केंद्र सरकार को अच्छी खासी रकम विभिन्न मदों में देना पड़ती है। सेना में कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती शुरू होने पर सरकार को इन तमाम आर्थिक फायदों के अलावा पेंशन जैसे वित्तीय बोझ से भी छुटकारा मिल जाएगा। इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक सशस्त्र बलों में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नया नजरिया आकार ले चुका है। दो साल पहले इस पर विचार किया गया था। जिसके तहत सशस्त्र बलों में एक तय अल्पकालिक कॉन्ट्रैक्ट पर अधिकारियों और सैनिकों की भर्ती पर की जाए। यह भर्ती तीन साल की अवधि के लिए सकती है। जिसके दौरान उन्हें उग्रवाद विरोधी अभियानों, खुफिया जानकारी जुटाने और आईटी सहित विभिन्न क्षेत्रों में ट्रेनिंग और सेवा प्रदान की जाएगी।

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पता चला है कि शीर्ष नेतृत्व से कॉन्ट्रैक्ट भर्ती वाले प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने की उम्मीद में इस सप्ताह रक्षा मंत्रालय में इस योजना पर ब्रीफिंग हुई है। इस योजना को सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने 2020 में सामने रखा था, इसके आकार और दायरे पर हाल के महीनों में सरकार के शीर्ष स्तरों पर विचार-विमर्श किया गया था।अंतिम योजना की रूपरेखा का खुलासा होना बाकी है। मूल योजना यह है कि तीन साल की तय अवधि के लिए सामान्य और विशेष दोनों तरह के कर्तव्यों के लिए सैनिकों को लाया जाए। यह सशस्त्र बलों में स्थायी भर्ती की पहले की योजना से अलग बदलाव होगा जिसमें सैनिक अलग-अलग समय के लिए सेवा करते हैं।

 
कोविड महामारी के कारण पिछले दो वर्षों में सेना में सैनिकों की भर्ती में भारी कटौती की गई है। आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि वर्तमान में सेना, वायु सेना और नौसेना में 1,25,364 वैकेंसी हैं।
तीन साल के अंत में, अधिकांश सैनिकों को ड्यूटी से मुक्त कर दिया जाएगा और उन्हें आगे के रोजगार के अवसरों के लिए सशस्त्र बलों से सहायता मिलेगी। माना जाता है कि कॉरपोरेट इंडिया ऐसे प्रशिक्षित और अनुशासित युवाओं के लिए नौकरी आरक्षित करने में रुचि रखता है जिन्होंने अपने देश की सेवा की है।

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सरकार को बचतसशस्त्र बलों ऐसी कॉन्ट्रैक्ट वाली नियुक्तियों से सरकार को वेतन, भत्तों और पेंशन की मद में हजारों करोड़ की बचत का अनुमान लगाया गया था। यदि सैनिकों की एक बड़ी संख्या को टूर ऑफ़ ड्यूटी अवधारणा के तहत लिया जाता है। भर्ती किए गए युवाओं में से सर्वश्रेष्ठ को भी रिक्तियों के उपलब्ध होने की स्थिति में अपनी सेवा जारी रखने का अवसर मिल सकता है। लागत कम करने और हर साल हजारों प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार के लिए उपलब्ध कराने के अलावा, यह अवधारणा सशस्त्र बलों में विशेष प्रवेश को भी प्रोत्साहित करेगी। आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित कॉलेजों के छात्र जो सशस्त्र बलों में उच्च प्रौद्योगिकी अभियान के विस्तार में योगदान दे सकते हैं, उन्हें एक छोटे कार्यकाल के लिए सेवा देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिसके बाद वे नागरिक दुनिया में करियर बना सकते हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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