सोनम वांगचुक लद्दाख की पहचान हैं। लेकिन वो किसी समय प्रधानमंत्री मोदी के बड़े प्रशंसक और तरफदार रहे। लेह के इस इंजीनियर की पहचान क्लाइमेटचेंज एक्टिविस्ट के रूप में भी है। सोनम को शुक्रवार को लेह में हिंसा के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर सरकार ने एनएसए यानी रासुका लगाया। इसका अर्थ यह है कि देश की सुरक्षा को उनसे खतरा है, तभी इस कानून को उनके ऊपर तामील किया गया है।
सोनम वांगचुक ने बहुत खास-खास मौकों पर पीएम मोदी की तारीफ की है। सोनम वांगचुक 2024 तक मोदी के घोर प्रशंसक रहे। वो उन्हें चीन और अमेरिका के राष्ट्रपतियों के बराबर खड़ा कर चुके हैं। सोनम जब मोदी की तारीफ करते थे तो बीजेपी के नेता, कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर उनकी तारीफ करते नहीं थकते थे। बीजेपी वाले उन्हें देशभक्त पर्यावरण कार्यकर्ता कहते थे। देशभक्त वैज्ञानिक कहते थे।
सितंबर 2025 में सबकुछ बदल गया। सोनम वांगचुक को अब गद्दार और विदेशी एजेंट समेत न जाने क्या-क्या कहा जा रहा है। वही बीजेपी वाले हैं जो उन्हें अब गद्दार लिख रहे हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा है कि जिस तरह से सोनम वांगचुक का पीएम मोदी से मोहभंग हुआ है, ऐसे लोगों की संख्या इस देश में एक दो नहीं है। 
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  • 2019 में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए मोदी को धन्यवाद। उन्होंने कहा- "लंबे समय का सपना पूरा हुआ।" यहीं से उन्होंने मोदी की तारीफ शुरू की थी। मोदी दूसरी बार पीएम बने थे।
  • 2023 में मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) पहल के लिए मोदी की प्रशंसा की। वांगचुक ने इसे टिकाऊ जीवन को बढ़ावा देने वाला बताया। सोनम वांगचुक ने पीएम मोदी को चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग, डोनाल्ड ट्रम्प जैसे ग्लोबल नेताओं से बेहतर बताया।
  • अगस्त 2024 में, उन्होंने लद्दाख में पांच नए जिले बनाने के लिए मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया, हालांकि छठी अनुसूची की मांग जारी रखी।
  • सितंबर 2024 में उन्होंने लेह से दिल्ली तक पैदल मार्च आयोजित किया। इसका मकसद लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग थी। 30 सितंबर को उन्हें और उनके 130 साथियों को सिंघु बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने जब उन्हें रिहा किया तो वो गांधी समाधि पर गए और अपना आंदोलन जारी रखने की बात कही।
  • फरवरी 2025 में, वांगचुक ने मोदी को खुले पत्र में ग्लेशियर संरक्षण में भारत को नेतृत्व करने का आग्रह किया और मोदी के मिशन लाइफ को "भारत का विश्व को उपहार" बताया।
इसके बाद उनका मोहभंग हुआ। उन्होंने लेह में ही लोकल लेवल कई छोटे-छोटे आंदोलन लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने और उसे छठी अनुसूची में शामिल कराने के लिए छेड़े। स्थानीय लोग भारी तादाद में उनके कार्यक्रमों में आने लगे। लेह के युवकों ने उनसे संपर्क किया और युवकों द्वारा लद्दाख की मांगों को लेकर बनाई गई लेह अपेक्स बॉडी (एलएबी) के कार्यक्रमों में सोनम को बुलाया। सोनम और एलएबी की मांगें एक ही थीं। इसमें करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) भी शामिल हो गया और लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने की मांग तेज हो गई। 
  • 1 सितंबर 2025 से वो लेह में अनशन कर रहे थे। लेकिन मोदी सरकार की आंखों में यह आंदोलन खटकने लगा क्योंकि विपक्ष ने इसे समर्थन दे दिया था। बीजेपी आईटी सेल के अमित मालवीय ने सोनम वांगचुक को कांग्रेसी बताना शुरू किया। युवकों के प्रदर्शन को नेता विपक्ष राहुल गांधी के जेन ज़ी आह्वान से जोड़ दिया।
  • 24 सितंबर को लेह में भारी हिंसा हुई। इस हिंसा में पुलिस फायरिंग में चार लोग मारे गए। केंद्र सरकार ने बयान दिया कि इस हिंसा के लिए सोनम वांगचुक जिम्मेदार हैं। उन्होंने उकसाने वाले भाषण दिए।

  • 25 सितंबर को उनके एनजीओ का FCRA लाइसेंस रद्द हुआ।

  • 26 सितंबर को उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
सोनम वांगचुक को अपनी गिरफ्तारी का अंदेशा पहले से ही था। 25 सितंबर को उन्होंने तमाम टीवी चैनलों पर कहा था कि उन्हें गिरफ्तारी की आशंका है और वे इसके लिए तैयार हैं। लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया तो यह सरकार को महंगा पड़ सकता है। क्योंकि लद्दाख के लोग इस बात को समझ चुके हैं कि बीजेपी ने राज्य का दर्जा देने का जो वादा किया था, केंद्र सरकार उससे पीछे हट गई है। लेह में बुधवार को हिंसा के दौरान जब बीजेपी दफ्तर और उसका झंडा फूंका गया तो तिरंगा भी वहां लहरा रहा था, प्रदर्शनकारियों ने तिरंगे को हाथ नहीं लगाया। सोनम आंदोलन का अतीत हिंसक आंदोलन का नहीं रहा है। सोशल मीडिया पर लोग यही हैरानी जता रहे हैं कि गांधीवादी सिद्धांतों को मानने वाले, शांतिपूर्ण आंदोलन चलाने वाले को क्यों गिरफ्तार किया गया।