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ग्रेटा तनबर्ग का टूल किट शेयर करने के आरोप में गिरफ़्तारी

किसान आन्दोलन के समर्थन में टूलकिट शेयर करने की वजह से बेंगलुरु की एक 21 साल की छात्रा को गिरफ़्तार कर लिया गया है। दिल्ली पुलिस ने पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) के टूलकिट को शेयर करने के आरोप में माउंट कार्मेल कॉलेज की दिशा रवि को गिरफ़्तार किया है। पुलिस का कहना है कि दिशा ने ग्रेटा के टूलकिट को एडिट कर दूसरों को भेजा था। अदालत ने दिशा को पाँच दिनों की पुलिस हिरासत दी है। 

पुलिस का कहना है कि खालिस्तानी गुट 'पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन' ने यह टूलकिट तैयार किया था। स्विटजरलैंड की किशोरी ग्रेटा तनबर्ग ने भारत के किसान आन्दोलन का समर्थन करते हुए ट्वीट किया था और उसके साथ एक टूलकिट भी लगाया था। बाद में उन्होंने वह टूलकिट हटा दिया था, लेकिन आन्दोलन के प्रति समर्थन दुहराया था।

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राजद्रोह 

दिल्ली पुलिस का दावा है कि टूलकिट में जैसा कहा गया था, 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में बिल्कुल वैसा ही हुआ था।

दिल्ली के स्पेशल पुलिस कमिश्नर प्रवीर रंजन ने एनडीटीवी से कहा,

"भारत के ख़िलाफ़ आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और क्षेत्रीय युद्ध छेड़ने की अपील की गई थी।"


प्रवीर रंजन, स्पेशल पुलिस कमिश्नर, दिल्ली

उन्होंने कहा कि सरकार के ख़िलाफ़ असंतोष फैलाने का मामला दर्ज किया गया है। इसके साथ ही राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया है। पुलिस ने अलग-अलग धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों के बीच विद्वेष फैलाने का आरोप भी लगाया है।

पुलिस ने इसके पहले गूगल और सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर से ई-मेल आईडी, डोमेन यूआरएल और कुछ अकाउंट की जानकारी माँगी थी।

बाद में सरकार के कहने पर ट्विटर ने कुछ अकाउंट को भारत में ब्लॉक भी कर दिया था।

क्या था टूलकिट में?

टूलकिट में कहा गया था कि इसे इसलिए बनाया गया है कि जिन लोगों को भारत के किसान आंदोलन के बारे में जानकारी नहीं है, उन्हें पता चल सके और वे इस बारे में फ़ैसला ले सकें कि उन्हें किसानों का किस तरह समर्थन करना है।

टूलकिट में आगे कहा गया था कि ये हाशिए पर रहे किसान हैं, जिनका भारत की आज़ादी से पहले सामंती जमींदारों और औपनिवेशिक ताक़तों ने शोषण किया। यह भी कहा गया था कि बाद में 1990 के बाद वैश्वीकरण और उदारीकरण की वजह से शोषण हुआ।

टूलकिट में कहा गया था कि किसान आज भी भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और कर्ज के कारण हज़ारों आत्महत्याओं के बाद अब आए नए कृषि क़ानूनों ने उनकी मुसीबतों को और बढ़ा दिया है। कृषि क़ानूनों को बिना सोच-विचार किए ही पास कर दिया गया।

प्रदर्शन की सलाह

टूलकिट में आगे कहा गया है कि किसानों के समर्थन में हैशटैग #FarmersProtest और #StandWithFarmers लगाकर ट्वीट करें। इसके अलावा सरकार के किसी प्रतिनिधि को कॉल करें या ई-मेल करें और उनसे इसे लेकर क़दम उठाने को कहें।

इसके अलावा नजदीकी भारतीय दूतावास, मीडिया हाउस या किसी स्थानीय सरकारी कार्यालय के बाहर 13 व 14 फ़रवरी, 2021 को प्रदर्शन करें और उसकी फ़ोटो को सोशल मीडिया पर हैशटैग #FarmersProtest #StandWithFarmers के साथ पोस्ट करें।

student arrested for sharing greta thunberg toolkit backing farmers protest - Satya Hindi

तीखी प्रतिक्रिया

ग्रेट तनबर्ग के अलावा रियाना ने भी ट्वीट किया था। उसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने सख़्त एतराज जताया था। रियाना के ट्वीट और उस पर हो रही ज़ोरदार प्रतिक्रिया पर भारत सरकार ने बग़ैर किसी का नाम लिए औपचारिक रूप से प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि इस आंदोलन को भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और भारत सरकार व किसान संगठनों की ओर से समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिशों के परिप्रेक्ष्य में ही देखा जाना चाहिए।

ट्वीट से पलटवार

केंद्र सरकार इनके ख़िलाफ़ मुक़ाबले में उतर गई और उसने #IndiaTogether और #IndiaAgainstPropaganda हैशटैग के तहत ट्वीट्स की बौछार कर दी।

गृह से लेकर विदेश और वित्त मंत्रालय तक ने ट्वीट कर रियाना और ग्रेटा को जवाब देकर यह बताने की कोशिश की कि यह भारत के ख़िलाफ़ कोई साज़िश है। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार रात को ट्वीट कर कहा कि कोई भी प्रोपेगेंडा भारत की एकता को नहीं तोड़ सकता और भारत को नई ऊंचाईयों तक पहुंचने से नहीं रोक सकता।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर कहा, “हम यह अपील करते हैं कि ऐसे मामलों में कोई टिप्पणी करने से पहले तथ्यों की पड़ताल कर ली जाए और मुद्दे की पूरी समझ होनी चाहिए।”

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट कर कहा, “हम साथ हैं, हमें प्रोपेगेंडा और फर्जी नैरेटिव के जरिये भारत की छवि को बदनाम करने की कोशिशों के ख़िलाफ़ खड़ा होना चाहिए।”

कौन है ग्रेटा तनबर्ग?

17 साल की ग्रेटा तनबर्ग साल 2019 के सितंबर महीने में उस वक़्त चर्चा में आई थीं, जब उन्होंने यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट एक्शन समिट में पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर अपनी बातों को दुनिया के सामने रखा था। ग्रेटा ने बेख़ौफ़, निडर होकर कहा था कि पृथ्वी तबाही की ओर बढ़ रही है और दुनिया भर के नेता अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं।

ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन पर ठोस क़दम उठाने में विफल रहे विश्व के नेताओं के ख़िलाफ़ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा था कि जिन पीढ़ियों ने सबसे ज़्यादा प्रदूषण फैलाया है उन्होंने उन पर और आने वाली पीढ़ियों पर जलवायु परिवर्तन के घातक असर के बोझ को लाद दिया है।

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क़मर वहीद नक़वी
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