अदालत ने कहा, "एक बार जब बिल दोबारा पारित हो जाते हैं, तो वे मनी बिल के समान स्तर पर होते हैं। अब राज्यपाल को एक बार फिर कोई फैसला लेना होगा।"
अदालत ने कहा कि राज्यपाल रवि ने उनके सामने पेश 181 विधेयकों में से 162 पर सहमति व्यक्त की थी। अदालत ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 200 के तहत किसी भी राज्य के राज्यपाल के पास तीन विकल्प होते हैं - उनके समक्ष प्रस्तुत विधेयकों पर सहमति देना, उस सहमति को रोकना या उसे भारत के राष्ट्रपति के पास भेजना।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और केरल सरकारों की इसी तरह की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह कानूनी मुद्दा भी उठाया था कि "क्या कोई राज्यपाल किसी विधेयक को विधानसभा में वापस भेजे बिना उस पर सहमति रोक सकता है?" अब वही सवाल तमितनाडु के संदर्भ में भी लौट आए हैं।