क्या प्रभावशाली या वीआईपी व्यक्ति के लिए क़ानून अलग हो सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुरुवार को साफ़ संदेश दिया है। इसने कन्नड़ फिल्म अभिनेता दर्शन थूगुदीपा की रेणुकास्वामी हत्याकांड में दी गई जमानत को रद्द कर दिया है। इसने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का जमानत देने का आदेश गंभीर कानूनी खामियों वाला है। जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रसिद्ध या प्रभावशाली हो, कानून से ऊपर नहीं है।
SC ने कहा- ‘कोई भी कानून से ऊपर नहीं है’; अभिनेता दर्शन की जमानत रद्द
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- 14 Aug, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने रेणुकास्वामी हत्याकांड मामले में अभिनेता दर्शन की जमानत किस आधार पर रद्द की? जानिए, इसने कर्नाटक हाईकोर्ट के फ़ैसले के बारे में क्या कहा।

यह मामला चित्रदुर्गा निवासी 33 वर्षीय रेणुकास्वामी की जून 2024 में कथित तौर पर अपहरण, यातना और हत्या से जुड़ा है। पुलिस के अनुसार, रेणुकास्वामी ने अभिनेता दर्शन की करीबी मित्र और अभिनेत्री पवित्रा गौड़ा को सोशल मीडिया पर कथित रूप से आपत्तिजनक संदेश भेजे थे। इसके बाद दर्शन ने अपने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम दिया। रेणुकास्वामी को बेंगलुरु में एक शेड में तीन दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया, जहां उन्हें यातनाएं दी गईं। उनके साथ मारपीट की गई और बिजली का झटका दिया गया था। मौत हो जाने पर उनके शव को एक नाले में फेंक दिया गया।
दर्शन, पवित्रा गौड़ा, नागराजू आर, अनु कुमार उर्फ अनु, लक्ष्मण एम, जगदीश उर्फ जग्गा, और प्रादोश एस. राव को जून 2024 में गिरफ्तार किया गया था। सत्र न्यायालय ने सभी आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि, 13 दिसंबर 2024 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने दर्शन और सह-आरोपियों को नियमित जमानत दे दी। इसके खिलाफ कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की।