loader

सुप्रीम कोर्ट ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों की गिरफ्तारी पर रोक बढ़ाई

सुप्रीम कोर्ट ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ((ईजीआई) ) के अध्यक्ष और तीन सदस्यों की गिरफ्तारी पर 15 सितंबर रोक लगा दी है। पहले यह रोक 11 सितंबर तक थी। सोमवार को सुनवाई होने पर अदालत ने कहा कि मणिपुर पुलिस एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के चार सदस्यों के खिलाफ दर्ज दो एफआईआर पर कोई भी कठोर कदम न उठाए। 
मणिपुर सरकार की ओर से सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कहा कि ईजीआई सदस्यों को कुछ और समय के लिए गिरफ्तारी से छूट दी जा सकती है। मामले को अन्य मामलों की तरह मणिपुर हाईकोर्ट में भेजा जाए। 
ताजा ख़बरें
सॉलिसीटर जनरल के इस प्वाइंट का ईजीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और श्याम दीवान ने कड़ा विरोध किया। दोनों ने कहा कि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में ही की जानी चाहिए क्योंकि एफआईआर ईजीआई की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के आधार पर दर्ज की गई हैं।
इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की बेंच ने कहा- ''हम इस पर शुक्रवार को सुनवाई करेंगे। अदालत उस दिन राज्य सरकार का जवाब सुनना चाहेगी।”
बता दें कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 4 सितंबर को कहा था कि गिल्ड के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर पुलिस केस दर्ज किया गया है। इन चार लोगों पर राज्य में 'समुदायों के बीच आपसी वैमनस्य भड़काने' की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है। इसके बाद गिल्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गिरफ्तारी पर रोक की मांग की। 6 सितंबर को याचिका दाखिल होते ही अदालत ने फौरन सुनवाई की और 11 सितंबर तक अंतरिम राहत दे दी थी।
क्या कहा था एडिटर्स गिल्ड नेः मणिपुर में जातीय हिंसा के मीडिया कवरेज पर अपनी रिपोर्ट में, ईजीआई ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में पत्रकारों ने एकतरफा रिपोर्ट लिखी। इंटरनेट प्रतिबंध ने एक-दूसरे के साथ बातचीत करने की उनकी क्षमता को प्रभावित किया। पत्रकार ज्यादातर सरकार की बताई गई सूचना पर निर्भर थे। राज्य सरकार ने जातीय संघर्ष में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाई। गिल्ड की तीन सदस्यीय टीम में ईजीआई सदस्य सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर शामिल थे। उन्होंने बताया कि ऐसा लगता है कि मणिपुर में मीडिया 'मैतेई मीडिया' बन गया है, जहां संपादक एक-दूसरे से परामर्श कर रहे थे और किसी घटना की रिपोर्ट करने के लिए एक सामान्य कहानी पर सहमत हो रहे थे।

मणिपुर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं और सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए का इस्तेमाल करते हुए एफआईआर दर्ज की है। हालांकि मणिपुर पुलिस को शायद यह जानकारी नहीं है कि धारा 66ए को सुप्रीम कोर्ट रद्द कर चुका है।

देश से और खबरें

रिपोर्ट में कहा गया, 'राज्य सरकार ने मणिपुर पुलिस को असम राइफल्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देकर इस अपमान का मौन समर्थन किया, जिससे पता चलता है कि राज्य का एक हाथ नहीं जानता था कि दूसरा क्या कर रहा था या यह एक जानबूझकर की गई कार्रवाई थी।'

एडिटर्स गिल्ड ने कहा- 'स्पष्ट संकेत हैं कि संघर्ष के दौरान राज्य का नेतृत्व पक्षपातपूर्ण हो गया। रिपोर्ट में कहा गया, 'इसे जातीय संघर्ष में पक्ष लेने से बचना चाहिए था, लेकिन एक लोकतांत्रिक सरकार के रूप में अपना कर्तव्य निभाने में विफल रही, जिसे पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करना चाहिए था।'

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें