loader

पेगासस मामला: कमेटी ने और वक़्त मांगा, 25 फरवरी को होगी सुनवाई 

पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है। हालांकि कमेटी ने इस मामले में अपनी जांच को पूरी करने के लिए कुछ और वक्त मांगा है। उधर, इस मामले में बुधवार को सुनवाई होनी थी लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर अदालत ने इसे स्थगित कर दिया। अब इस मामले में अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी। 

चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच पेगासस मामले को सुन रही है। 

संसद से सड़क तक बवाल के बाद पेगासस स्पाइवेयर से जासूसी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 27 अक्टूबर को इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी। कमेटी में डॉ. नवीन कुमार चौधरी, डॉ. प्रभाहरन पी. और डॉक्टर अश्निन अनिल गुमस्ते को शामिल किया गया था। 

ताज़ा ख़बरें

कमेटी के कामकाज पर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज आरवी रविंद्रन को नज़र रखने का आदेश दिया गया था। रविंद्रन की मदद के लिए आलोक जोशी, डॉ. संदीप ओबेराय को नियुक्त किया गया था।

शीर्ष अदालत में दायर याचिकाओं में इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गई थी। इस मामले में एम. एल. शर्मा, पत्रकार एन. राम और शशि कुमार, परंजय गुहाठाकुरता, एस. एन. एम. आब्दी, एडिटर्स गिल्ड, टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा सहित कई लोगों की ओर से याचिका दायर की गई थी। 

देश से और खबरें

याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से यह भी मांग की थी कि वह सरकार को निर्देश दे कि वह इस बात को बताए कि उसने पेगासस स्पाइवेयर ख़रीदा या नहीं। 

रिपोर्ट के बाद हंगामा 

बता दें कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में खुलासा किया है कि भारत सरकार ने 2017 में इजरायल के साथ हुई डिफेंस डील के तहत इस जासूसी सॉफ्टवेयर को खरीदा था। 

यह डिफेंस डील दो अरब डॉलर की थी। एक साल तक लंबी पड़ताल करने के बाद अखबार ने इस खबर को प्रकाशित किया था।

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई 2017 में जब इजरायल पहुंचे तब यह डिफेंस डील हुई थी और पेगासस स्पाइवेयर और मिसाइल सिस्टम इसके अहम बिंदु थे।

इस मुद्दे को लेकर संसद सत्र में जमकर हंगामा हुआ था। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा कराने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन किया था। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें