डॉ. पॉल ने कहा कि अनुच्छेद 32 उन्हें न्यायालय में जाने और तथ्य प्रस्तुत करने की अनुमति देता है। उन्होंने कहा, "तथ्य बहुत स्पष्ट हैं। सभी को पता है लेकिन कोई उपाय क्यों नहीं है? मैं 43 वर्षों से दुनिया भर के प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों का मानवीय और राजनीतिक सलाहकार रहा हूं। यहां तक कि पिछले 6 मुख्यमंत्रियों का भी। और वर्तमान प्रधान मंत्री सहित यहां के प्रधानमंत्रियों ने मेरे शिखर सम्मेलन में भाग लिया है। आप भी आश्चर्यचकित होंगे, 8 अगस्त को नई दिल्ली के ली मेरिडियन में हुए कार्यक्रम में इसका समर्थन किया था कि हम बाकी दुनिया का अनुसरण करें। 197 देशों में से 180..." (के लोग मौजूद थे)।
उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को जवाब दाखिल करने दीजिए। इस पर जस्टिस नाथ ने कहा- "राजनीतिक दलों को इस प्रणाली (ईवीएम) से कोई समस्या नहीं है। आपको समस्या है।"
डॉ पॉल ने आगे कहा: "इस हालिया चुनाव में, मैंने माफिया को देखा है। मैं पुलिस में रहा हूं। बेशक, सिर्फ इसलिए कि पुलिस और अन्य लोग मेरा सम्मान करते हैं, उन्होंने मुझे जाने दिया। आपने सुना होगा, सुप्रीम में एक जनहित याचिका दायर की गई है, स्वामी सहित कुछ लोगों द्वारा अदालत में, जहां विधायक अंदर गए और सचमुच अविश्वसनीय भ्रष्टाचार के कारण ईवीएम को तोड़ दिया...तो, यह कल्पना से परे है...विशेषज्ञ एलोन मस्क को लें, जिन्होंने हमारे शिखर सम्मेलन में भाग लिया था, उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखित रूप में कहा था कि ईवीएम में गड़बड़ी हो सकती है। सीएम चंद्रबाबू नायडू, ने 2018 में ट्वीट किया था कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है और अब जग्गन मोहन रेड्डी ने ट्वीट किया है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है।''