दारुल उलूम देवबंद
एक हालिया रिपोर्ट में एनसीपीसीआर ने कहा कि जब तक मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करते हैं, तब तक मदरसों में राज्य की फंडिंग बंद कर दी जाना चाहिए।
इस महीने की शुरुआत में, एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि उन्होंने कभी भी ऐसे मदरसों को बंद करने का आह्वान नहीं किया, लेकिन उन्होंने सिफारिश की कि इन संस्थानों को राज्य की आर्थिक मदद बंद कर दी जाना चाहिए क्योंकि वे गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं।
मदरसों के पीछे पड़ी सरकारः मदरसों में उर्दू और दीनी तालीम के अलावा बाकी स्कूल-कॉलेजों की तरह आधुनिक शिक्षा जिसमें अंग्रेजी, हिन्दी, मैथ्स, साइंस, कॉमर्स आदि विषयों की पढ़ाई भी होती है। लेकिन भाजपा और आरएसएस ने आम धारणा यह बना दी है कि मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा दी जाती है। यूपी सरकार ने पिछले दिनों यूपी मदरसा एक्ट ख़त्म करने की कोशिश की थी। लेकिन अप्रैल 2024 में यूपी मदरसा एक्ट को ख़त्म करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। इससे 17 लाख छात्रों को बड़ी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने पहली नजर में ही मदरसा अधिनियम के प्रावधानों को समझने में ग़लती की है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 22 मार्च को उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने का फ़ैसला दिया था।