सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु राज्यपाल मामले में अपने ऐतिहासिक फैसले में राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए विधेयकों पर निर्णय लेने की तीन महीने की समय-सीमा तय की थी। यह समय-सीमा केंद्र सरकार की अपनी ही गाइडलाइंस से ली गई थी, जैसा कि हाल के खुलासों से स्पष्ट हुआ है। 8 अप्रैल 2025 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने तमिलनाडु में लंबित विधेयकों पर अनिश्चितकालीन देरी को समाप्त करने का प्रयास किया, जिसने राज्य और राज्यपाल के बीच संवैधानिक विवाद को जन्म दिया था।
सच का सामनाः राज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की गाइडलाइंस से ही फैसला दिया
- देश
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- 17 May, 2025
केंद्र सरकार ने हाल ही में राष्ट्रपति की आड़ लेकर सुप्रीम कोर्ट पर राज्यपाल और राष्ट्रपति को तीन महीने में विधेयकों पर फैसला लेने वाले मामले में हमला बोला। लेकिन सच ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की गाइडलाइंस से ही वो निर्देश दिए थे।
