सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु राज्यपाल मामले में अपने ऐतिहासिक फैसले में राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए विधेयकों पर निर्णय लेने की तीन महीने की समय-सीमा तय की थी। यह समय-सीमा केंद्र सरकार की अपनी ही गाइडलाइंस से ली गई थी, जैसा कि हाल के खुलासों से स्पष्ट हुआ है। 8 अप्रैल 2025 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने तमिलनाडु में लंबित विधेयकों पर अनिश्चितकालीन देरी को समाप्त करने का प्रयास किया, जिसने राज्य और राज्यपाल के बीच संवैधानिक विवाद को जन्म दिया था।