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दिल्ली: मालवीय नगर में बच्चे की हत्या, सांप्रदायिक तनाव

दिल्ली के मालवीय नगर स्थित बेगमपुर में 8 साल के बच्चे की हत्या के दो दिन बाद भी अशांति है। यहाँ एक विवादित ज़मीन पर रावण के पुतले के दहन और नमाज़ में बाधा पहुँचाने को लेकर क्षेत्र में पहले से ही तनाव था। अब तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए पुलिस को तैनात कर दिया गया है। स्थानीय मदरसे में पढ़ने वाले 8 साल के बच्चे मोहम्मद अज़ीम की मौत उस वक़्त हो गई जब कुछ स्थानीय बच्चों ने उसकी पिटाई कर दी। अज़ीम ने सराय साहजी मसजिद के मदरसे जामिया फ़रिदया में गुरुवार सुबह पढ़ाई की थी। वह अपने चार दोस्तों के साथ बाहर निकला ही था कि उसका सामना दूसरे समुदाय के कुछ बच्चों से हो गया। आरोप है कि दूसरे समुदाय के बच्चों ने अज़ीम और उसके दोस्तों पर पत्थर फेंके, पटाखे छोड़े और गालियाँ दीं। एक सात साल के बच्चे ने एफआईआर दर्ज़ कराई है। इसके आधार पर चार बच्चों को हिरासत में लिया गया है जो सारे नाबालिग हैं। इसलिए उन्हें जुविनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया गया। एक मीडिया रिपोर्ट में एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से बताया गया है कि एक बच्चे ने अज़ीम की गर्दन पकड़ ली, जबकि दो अन्य बच्चों ने उसके हाथ पकड़ लिए। प्रत्यक्षदर्शी बच्चे के हवाले से ही कहा गया है कि उन्होंने अज़ीम को पटक कर लात-घूँसों से पिटना शुरू कर दिया और वे छाती पर चढ़ गए। अज़ीम के साथ के बच्चे मौलाना को ख़बर देने के लिए वहाँ से भागे। एफआईआर के अनुसार स्थानीय लोगों ने बच्चे को घायल देखा और वे उसे पहले मसजिद और फिर अस्पताल ले गए। मदन मोहन मालवीय अस्पताल पहुँचने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया।मसजिद के इमाम मौलाना अली जोहर का कहना है कि यह सांप्रदायिक मामला है। उन्होंने कहा कि पहले भी इन बच्चों ने बीयर की बोतलें फेंकी थीं, नमाज़ के समय तेज़ म्यूज़िक बजाया था, पटाखे जलाए थे। हालाँकि उनकी बातों से कई लोग सहमत नहीं दिखे और कहा कि इसे सांप्रदायिक रंग देना सही नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में एक विवादित ज़मीन को लेकर तनाव लंबे समय से बना रहा है।
Tension in Malviya Nagar after the killing of 8 years old boy of a Madarsa  - Satya Hindi

ज़मीन को लेकर लंबे समय से है विवाद 

दोनों पक्षों में लंबे समय से विवाद रहा है। मसजिद दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड की ज़मीन पर बनी है। लेकिन झगड़े की वजह चार फ़ुट चौड़ी एक गली है जो बस्ती और मदरसे की दीवारों को जोड़ती है। मदरसे के लोगों का कहना है कि ये ज़मीन उनकी है और उन्होंने इसके लिए कोर्ट में कागज़ात भी पेश किए हैं। उधर, दूसरे पक्ष का कहना है कि जमीन का वह टुकड़ा पुरातत्व विभाग का है और उसे आम जनता के लिए खोल देना चाहिए। मसजिद के लोग चाहते हैं कि बस्ती की तरफ़ खुलने वाले रास्ते को बंद कर दिया जाए और ज़मीन को मसजिद परिसर में मिला दिया जाए। फ़िलहाल इस मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है।कोर्ट में मामला होने के बावजूद क्षेत्र के लोगों में अनबन रही है। इसी कारण क्षेत्र के युवाओं और मदरसे के बच्चों के बीच अकसर लड़ाई होती रही है। लेकिन हत्या जैसी वारदात पहले कभी नहीं हुई थी।

पिता की गुज़ारिश, बच्चे की मौत पर राजनीति न हो 

अलग-अलग दलीलें दे रहे लोगों से अज़ीम के पिता ख़लील अहमद एक गुज़ारिश करते हैं। वे कहते हैं कि उनके बेटे की मौत पर राजनीति नहीं हो। मसजिद के दो लोगों ने जब उनसे विरोध प्रदर्शन में भाग लेने को कहा तो उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया। मेवात के रहने वाले ख़लील ने कहा, 'आँधी के सामने एक पेड़ की क्या औक़ात। मुझे झुकना पड़ेगा, नहीं तो मैं टूट जाऊँगा। मैं अपने बेटे के शव के साथ घर जाना चाहता हूँ। मैं उसकी मौत पर राजनीति नहीं करना चाहता।'मजदूरी कर गुज़ारा करने वाले ख़लील कहते हैं कि 2017 में अज़ीम अपने दो बड़े भाइयों के साथ दिल्ली आया था। वे कहते हैं कि मैं उसे एक अस्पताल के लिए अनुवादक बनाना चाहता था। बता दें कि भारत में अरब देशों से इलाज कराने आने वाले लोगों की तादाद अच्छी है और अज़ीम की अरबी भाषा में अच्छी पकड़ थी। 
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क़मर वहीद नक़वी
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