loader

ट्रिब्यूनल लॉ को लेकर अदालत ने सरकार को लगाई डांट, बढ़ेगा टकराव?

न्यायाधिकरणों के कामकाज से जुड़े क़ानून (ट्रिब्यूनल लॉ) को संसद में बिना किसी सार्थक बहस के पास किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने जबरदस्त नाराज़गी जताई है। ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स विधेयक, 2021 2 अगस्त को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्यसभा में पास हुआ था। इसके अलावा कई क़ानूनों के तहत सात अपीलीय न्यायाधिकरणों को समाप्त कर दिया गया था। इनमें न्यायाधिकरणों में नियुक्ति से संबंधित उम्र, कार्यकाल से जुड़े प्रावधान थे। 

ये प्रावधान न्यायाधिकरण में सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव के मद्देनजर ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) ऑर्डिनेंस, 2021 के जरिये लाये गये थे। 

शीर्ष अदालत के इसे लेकर सवाल उठाए जाने के बाद कार्यपालिका और न्यायपालिका में एक बार फिर से टकराव बढ़ सकता है। 

ताज़ा ख़बरें

सीजेआई एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली बेंच में शामिल जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स विधेयक, 2021 के प्रावधान वैसे ही हैं, जैसे पिछले महीने अदालत के सामने एक दूसरे मामले में आए थे। इस मामले में भी अदालत ने प्रावधानों को नकार दिया था और ये भी न्यायाधिकरण में नियुक्तियों से जुड़े थे। 

जुलाई के महीने में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 2-1 से फ़ैसला देते हुए ऐसे प्रावधानों को असंवैधानिक बताया था और कहा था कि ये न्यायपालिका की आज़ादी में दख़ल देते हैं। बेंच ने कहा था कि फ़ैसले लेने में निष्पक्षता, स्वतंत्रता और तर्कशीलता ही न्यायपालिका की पहचान है। अदालत ने यह फ़ैसला मद्रास बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ के मामले में दिया था। 

हालांकि अदालत ने कहा कि वह क़ानून बनाने की संसद के अधिकार क्षेत्र या उसके विवेक को चुनौती नहीं दे रही है लेकिन अदालत यह जानना चाहती है कि इस विधेयक को लाने के पीछे क्या वजह है जबकि इसमें जो प्रावधान हैं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट पहले ही असंवैधानिक घोषित कर चुकी है। 

अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा, “क़ानून का शासन हर हाल में जारी रहना चाहिए वरना सरकार किसी भी क़ानून की अवहेलना करेगी और उससे बचकर भी निकल जाएगी।”

इस विधेयक में जिस प्रावधान को लेकर विवाद है, उनमें से एक यह भी है कि न्यायाधिकरण के सदस्यों के रूप में वकीलों की नियुक्ति के लिए उम्र कम से कम 50 साल होनी चाहिए। 

सीजेआई रमना ने हाल ही में कहा था कि जब से बिना किसी सार्थक बहस के क़ानून बनाए जा रहे हैं, तब से संसदीय बहसों का स्तर गिरता जा रहा है। 

देश से और ख़बरें

रमेश ने दायर की थी याचिका

ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स विधेयक को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि इसके प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किया जाए और यह न्यायपालिका की आज़ादी के लिए बड़ा ख़तरा हैं। 

रमेश ने कहा था कि ये प्रावधान सरकार को न्यायाधिकरण में नियुक्तियों, सेवा की शर्तों, तनख्वाहों आदि को लेकर असीमित अधिकार देने वाले हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि बिना संसदीय बहस के और संसद में हंगामे के बीच ही इन्हें पास कर दिया गया। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें