अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ ताज़ा व्यापार समझौते के बाद अब भारत के साथ एक ‘बहुत बड़ा’ सौदा की ओर इशारा किया है। यह बयान उनके द्वारा हाल ही में चीन के साथ हस्ताक्षरित व्यापार समझौते के बाद आया है। क्या यह समझौता भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा?

दरअसल ट्रंप ने व्हाइट हाउस में आयोजित 'बिग ब्यूटीफुल बिल' कार्यक्रम के दौरान यह टिप्पणी की। ट्रंप ने अपने भाषण में कहा, "हमने कल ही चीन के साथ एक समझौता किया है। हर कोई एक समझौता करना चाहता है और उसका हिस्सा बनना चाहता है। कुछ महीने पहले मीडिया कह रहा था, ‘क्या आपमें वाक़ई कोई दिलचस्पी रखने वाला है?’ खैर, हमने कल चीन के साथ हस्ताक्षर किए। अब हम भारत के साथ एक बहुत बड़ा समझौता करने जा रहे हैं।'
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उन्होंने कहा, 'हम हर किसी के साथ समझौते नहीं करने जा रहे हैं। कुछ को हम बस एक ख़त भेजेंगे, जिसमें लिखा होगा, बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको 25, 35, 45 प्रतिशत टैरिफ़ देना होगा। यह करने का आसान तरीका है और मेरे लोग इस तरह से करना नहीं चाहते। वे कुछ हद तक ऐसा करना चाहते हैं, लेकिन वे मुझसे ज्यादा समझौते करना चाहते हैं।' 

ट्रंप का जवाबी टैरिफ़

ट्रंप का यह बयान तब आया है जब उन्होंने हाल में टैरिफ़ वार छेड़कर दुनिया भर में तहलका मचा दिया था। 

ट्रंप ने 2 अप्रैल को भारतीय सामानों पर 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी और बाद में इस पर 90 दिनों के लिए रोक लागू की थी। यह रोक 9 जुलाई को ख़त्म होगी। इस रोक के ख़त्म होने से पहले अमेरिका भारत सहित कई देशों के साथ व्यापार वार्ता कर रहा है।

ट्रंप का यह ताज़ा बयान न केवल भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के लिए अहम है, बल्कि वैश्विक व्यापारिक परिषद में भी एक नयी दिशा दिखा सकता है। ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि यह समझौता भारत के लिए नए आर्थिक अवसर खोल सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार अवसर और बढ़ सकता है।

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता की स्थिति

मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में एक वरिष्ठ-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन में है। यह प्रतिनिधिमंडल प्रस्तावित द्विपक्षीय समझौते में मतभेदों को कम करने के लिए चर्चा में लगा हुआ है। यह वार्ता 9 जुलाई की समय सीमा से पहले तेजी से आगे बढ़ रही है।
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भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते की चर्चा लंबे समय से चल रही है। कुछ महीने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाक़ात में इस समझौते की नींव रखी गई थी। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने मुलाक़ात की थी। दोनों नेताओं ने एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते का फ़ैसला किया, जो दोनों अर्थव्यवस्थाओं, दोनों पक्षों के व्यवसायों और दोनों देशों के लोगों के लिए पारस्परिक रूप से फायदेमंद होगा।'

किन क्षेत्रों में समझौते के आसार

हालाँकि इस समझौते की जानकारी अभी तक आधिकारिक रूप से सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह डिजिटल व्यापार, शुल्क, बाजार पहुंच, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि और रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों को कवर करेगा। जानकारों का मानना है कि यह समझौता भारत की वैश्विक व्यापार प्रोफाइल को और मज़बूत कर सकता है, खासकर तब जब वैश्विक निवेशकों का ध्यान अब भारत की ओर केंद्रित हो रहा है।
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चीन के साथ समझौते का असर

ट्रंप ने हाल ही में चीन के साथ एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत चीन ने दुर्लभ अर्थ मिनरल और मैग्नेट जैसे अहम सामानों की आपूर्ति करने पर सहमति जताई है। यह समझौता मई में जिनेवा में हुए एक समझौते का विस्तार है। इस समझौते ने वैश्विक बाजारों में अस्थायी राहत दी है। इससे पहले शुल्क बढ़ोतरी और बढ़ती अनिश्चितता से बाज़ार प्रभावित थे। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया था हमारा चीन के साथ समझौता पूरा हो गया है।

चीन के साथ ट्रंप के समझौते के बाद भारत के साथ संभावित डील ने निवेशकों और विश्लेषकों का ध्यान खींचा है। बाजार अब भारत को अगले बड़े व्यापारिक मील के पत्थर के रूप में देख रहे हैं।

भारत पर क्या होगा असर?

भारत और अमेरिका के बीच एक सफल व्यापार समझौता भारत की अर्थव्यवस्था के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह न केवल भारतीय निर्यात को बढ़ावा दे सकता है, बल्कि अमेरिकी बाजारों में भारतीय उत्पादों की पहुँच को भी आसान बना सकता है। इसके अलावा यह समझौता भारत में निवेश को आकर्षित करने और रोजगार पैदा करने में भी अहम साबित हो सकता है।

हालांकि, कुछ चुनौतियाँ भी हैं। भारत द्वारा प्रस्तावित जवाबी शुल्क और व्यापार वार्ता में कुछ तकनीकी मुद्दों पर सहमति बनाना अभी बाक़ी है। कहा जा रहा है कि दोनों पक्षों को आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित समझौता करना होगा। डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने का संकेत देता है।