राजस्थान के उदयपुर में 2022 में दर्जी कन्हैया लाल तेली की निर्मम हत्या पर आधारित फ़िल्म 'उदयपुर फाइल्स' अपनी रिलीज़ से पहले ही विवादों में घिर चुकी है। विजय राज अभिनीत यह फ़िल्म 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है, लेकिन इसके ट्रेलर और कथित सामग्री ने कई संगठनों और लोगों का ग़ुस्सा भड़का दिया है। वैसे, इस फ़िल्म के निर्माता अमित जानी इससे भी ज़्यादा विवादों में रहे हैं और उनके ख़िलाफ़ कई मुक़दमे दर्ज हैं।

अमित जानी उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले एक निर्माता हैं। इनका नाम अक्सर विवादों से जुड़ा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जानी पहली बार 2012 में तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने लखनऊ के आंबेडकर पार्क में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की मूर्ति को हथौड़े से तोड़ने की कोशिश की थी। उन्होंने धमकी दी थी कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो उनकी संस्था उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना यह काम करेगी। उनकी संस्था क्षेत्रीय पहचान की राजनीति से प्रभावित थी। यह महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से प्रेरित थी और 2010 में बनी थी।
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जानी के ख़िलाफ़ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें 2010 में मेरठ में शिवसेना कार्यालय में तोड़फोड़, दहेज उत्पीड़न, लूटपाट और एक डॉक्टर को धमकी देने जैसे आरोप शामिल हैं। उनकी छवि एक ऐसे व्यक्ति की रही है जो धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाता है। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं-

फ़रवरी 2012: जानी ने तत्कालीन राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष अजीत सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को काले झंडे दिखाए, जिसके लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ।

मई 2016: जानी को जेएनयू छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद को धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उन पर एक बस में भरी हुई बंदूक और दोनों छात्रों को सिर काटने की धमकी वाला पत्र रखने का आरोप था।

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अप्रैल 2017: कुछ छात्रों द्वारा कथित तौर पर पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का समर्थन करने की घटना के बाद जानी ने दिल्ली-देहरादून हाईवे पर होर्डिंग्स लगाए, जिसमें कश्मीरियों को राज्य छोड़ने या अंजाम भुगतने की धमकी दी गई। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई।

जुलाई 2017: सपा नेता आजम खान के सुरक्षाकर्मियों के बारे में विवादास्पद टिप्पणी के जवाब में जानी ने उनकी जीभ काटने की मांग की, जिसके लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ।

अक्टूबर 2017: जानी ने ताजमहल की एक बदली हुई तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की, जिसमें ताजमहल के गुंबद और मीनारों पर भगवा झंडे थे। साथ ही, उन्होंने ताजमहल पर भगवा और हिंदू संगठनों की सभा बुलाने का ऐलान किया, जिसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया।

दिसंबर 2018: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद जानी की संस्था ने लखनऊ में 'योगी बनाम मोदी' के होर्डिंग्स लगाए, जिसमें जुमलेबाजी बनाम योगी के हिंदुत्व ब्रांड को उछाला गया। इसके लिए भी मामला दर्ज हुआ।

फरवरी 2019: पुलवामा आतंकी हमले के बाद जानी ने अपने नोएडा होटल में "कश्मीरियों को अनुमति नहीं" का पोस्टर लगाया। हालाँकि, पुलिस के पहुँचने से पहले पोस्टर हटा लिया गया और OYO कंपनी ने उस होटल को अपनी सूची से हटा दिया।

2017 में शंभूलाल रेगर को समर्थन

जानी ने 2019 में शंभूलाल रेगर को लोकसभा टिकट दिए जाने की घोषणा की थी। रेगर ने 2017 में राजसमंद में प्रवासी मजदूर मोहम्मद अफराजुल खान की हत्या कर दी थी और शव को जला दिया था। उदयपुर मामले की तरह रेगर ने भी इस घटना का वीडियो बनाया था, जो वायरल हो गया था।

जानी का राजनीतिक सफर

जानी ने 2017 में शिवपाल यादव यूथ ब्रिगेड बनाई, जो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव के नाम पर थी। शिवपाल ने बाद में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई और 2019 में जानी को इस पार्टी की युवा शाखा का अध्यक्ष बनाया गया था। हाल ही में जानी ने "हिंदू एक्शन फोर्स" नामक एक संगठन भी शुरू किया है।

जानी ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया था। उनके हलफनामे में मेरठ, दिल्ली, अमरोहा, लखनऊ, आगरा और रामपुर में 12 लंबित मामले दर्ज थे। इनमें 2010 में मेरठ में शिवसेना कार्यालय में तोड़फोड़, मायावती की मूर्ति तोड़ने, दहेज उत्पीड़न, लूटपाट, और एक डॉक्टर को धमकी देने जैसे मामले शामिल हैं।

'उदयपुर फाइल्स' का विवाद

'उदयपुर फाइल्स' फ़िल्म 28 जून 2022 को उदयपुर में कन्हैया लाल तेली की हत्या पर आधारित है। कन्हैया लाल की कथित तौर पर दो व्यक्तियों, मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने दुकान में घुसकर गला रेतकर हत्या कर दी थी। यह हत्या कथित तौर पर कन्हैया लाल द्वारा निलंबित बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में एक सोशल मीडिया पोस्ट साझा करने के जवाब में की गई थी। इस घटना ने देशभर में आक्रोश पैदा किया था और साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया था।

फिल्म का ट्रेलर 26 जून 2025 को यूट्यूब पर रिलीज हुआ, जिसमें नूपुर शर्मा के विवादास्पद बयान को शामिल किया गया है। ट्रेलर में दारुल उलूम देवबंद को कथित तौर पर 'उग्रवाद का केंद्र' और इस्लामी विद्वानों को नकारात्मक रूप में दिखाया गया है। इसके अलावा, फ़िल्म में ज्ञानवापी मस्जिद जैसे संवेदनशील और अदालत में लंबित मुद्दों का ज़िक्र भी है। इन तत्वों ने कई संगठनों और व्यक्तियों को आक्रोशित किया है, जिनका मानना है कि यह फ़िल्म साम्प्रदायिक सद्भाव को नुक़सान पहुँचा सकती है।
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फ़िल्म की रिलीज़ पर रोक की मांग

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और दारुल उलूम देवबंद के प्राचार्य मौलाना अरशद मदनी ने दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात के उच्च न्यायालयों में याचिकाएँ दायर कर फ़िल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग की। उनकी याचिका में दावा किया गया कि फ़िल्म का ट्रेलर भड़काऊ और विभाजनकारी है, जो एक पूरे धार्मिक समुदाय को बदनाम करता है। मदनी ने कहा कि ट्रेलर में पैगंबर और इस्लाम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां हैं, जो देश में शांति और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ सकती हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 9 जुलाई 2025 को फिल्म के निर्माता को याचिकाकर्ताओं के वकीलों के लिए फिल्म की स्क्रीनिंग आयोजित करने का निर्देश दिया, ताकि वे इसके कंटेंट की समीक्षा कर सकें। केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड यानी सीबीएफ़सी ने अदालत को बताया कि फिल्म के आपत्तिजनक हिस्सों को हटा दिया गया है। इसके बावजूद, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फिल्म का कथानक अभी भी साम्प्रदायिक तनाव को भड़का सकता है।

फिल्म की स्थिति और भविष्य

सीबीएफसी ने फिल्म को 150 कट्स के साथ मंजूरी दी है, जिसके बाद निर्माताओं ने दावा किया कि सभी आपत्तिजनक हिस्सों को हटा दिया गया है। निर्देशक भारत एस. श्रीनाते ने एनडीटीवी से कहा, 'यह फिल्म किसी धर्म के बारे में नहीं है, बल्कि विचारधारा और सच्चाई के बारे में है।' हालाँकि, फ़िल्म की रिलीज़ पर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।