बिना मान्यता वाले रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों की आमदनी बेतहाशा कैसे बढ़ गई? जिन दलों की हैसियत बेहद मामूली है, तो फिर उनको इतना चंदा कैसे मिल रहा है? नयी पार्टियाँ बनी हैं, उन्हें भी करोड़ों रुपये का चंदा कैसे मिल रहा है?