BLA and Pakistan India Tension: अमेरिका ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को एक विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया है। पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिफ मुनीर की दूसरी यूएस यात्रा के दौरान यह कदम सामने आया है। क्या यह भारत के खिलाफ पाकिस्तान के दबाव से प्रेरित है?
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के लड़ाके
अमेरिकी विदेश विभाग ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और इसके उपनाम मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) घोषित कर दिया है। यह फैसला बीएलए की हालिया आतंकवादी गतिविधियों, जैसे 2024 में कराची एयरपोर्ट और ग्वादर पोर्ट पर आत्मघाती हमले, तथा मार्च 2025 में क्वेटा से पेशावर जाने वाली जफर एक्सप्रेस ट्रेन के अपहरण को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।इसमें 31 नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों की मौत हुई और 300 से अधिक यात्री बंधक बनाए गए थे। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह कदम आतंकवाद का मुकाबला करने और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने की ट्रंप प्रशासन की प्रतिबद्धता के मद्देनज़र उठाया गया है।
हालांकि यह घोषणा पाकिस्तान सैन्य प्रमुख आसिफ मुनीर की दूसरी अमेरिका यात्रा के दौरान सामने आई है। इससे इसके औचित्य को समझा जा सकता है। आसिम मुनीर इन दिनों जिस तरह से भारत के खिलाफ ज़हर उगल रहे हैं, उससे यह कदम भारत के खिलाफ पाकिस्तान की पेशबंदी ज्यादा लगती है।
बीएलए की गतिविधियां और अमेरिकी चिंताएं
बीएलए एक बलूच राष्ट्रवादी सशस्त्र आंदोलन है, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्वतंत्रता की मांग कर रहा है। संगठन का आरोप है कि पाकिस्तान सरकार प्रांत के तेल और खनिज संसाधनों का शोषण कर रही है, जबकि बलूच अल्पसंख्यक गरीबी और भेदभाव का शिकार हैं। अमेरिका ने बीएलए को 2019 में स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (एसडीजीटी) घोषित किया था, लेकिन अब एफटीओ की सूची में शामिल करने से संगठन पर वित्तीय प्रतिबंध, संपत्ति जब्ती और सहायता प्रदान करने वालों पर कड़ी कार्रवाई संभव हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद को रोकने और अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों को मजबूत करने का हिस्सा है।
पाकिस्तान का दबाव और आसिम मुनीर की यात्रा
यह घोषणा पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की हालिया अमेरिका यात्रा के ठीक बाद आई है, जिसे कई विश्लेषकों ने पाकिस्तान के दबाव का नतीजा माना है। पाकिस्तान लंबे समय से बीएलए को आतंकवादी संगठन मानता रहा है और अमेरिका से इसकी मान्यता की मांग करता आया है। इस्लामाबाद का दावा है कि बीएलए को विदेशी समर्थन प्राप्त है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा खतरे में है। पाकिस्तान के कई नेता इस संबंध में भारत का नाम लेते हैं। पाकिस्तान ने इस फैसले का स्वागत किया है, इसे आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की जीत बताया है।
भारतीय संदर्भ और आरोप
इस फैसले में भारतीय संदर्भ भी जुड़ा हुआ माना जा रहा है। पाकिस्तान अक्सर भारत पर बीएलए को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है, हालांकि भारत ने इन दावों को खारिज किया है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह कदम पाकिस्तान-भारत तनाव के बीच क्षेत्रीय संतुलन बनाने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जहां बलूचिस्तान एक विवादास्पद मुद्दा है। हाल ही में, अमेरिका ने पाकिस्तान-आधारित लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को भी एफटीओ घोषित किया, जो भारत में हमलों के लिए जिम्मेदार है। इससे लगता है कि अमेरिका दोनों देशों के साथ आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ा रहा है।
क्षेत्रीय प्रभाव और प्रतिक्रियाएं
बलूच कार्यकर्ताओं ने इस फैसले की आलोचना की है, इसे बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों को छिपाने की साजिश बताया है। वहीं, यह कदम चीन के प्रभाव वाले ग्वादर पोर्ट क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने का भी संकेत देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बीएलए की गतिविधियां कम हो सकती हैं, लेकिन बलूच विद्रोह की जड़ें गहरी हैं।