जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में सुनवाई की अनुमति देते हुए कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। नवंबर में हाईकोर्ट ने पूर्व के एआईएडीएमके शासन के दौरान पारित 10.5% कोटा कानून को चुनावों की घोषणा के कुछ दिनों पहले अवैध बताया था क्योंकि "अत्यधिक पिछड़ेपन" को मापने के लिए डेटा नहीं था, इसलिए यह अवैध था। यानी अदालत ने यह जानना चाहा था कि आखिर किस डेटा के आधार पर वन्नियार का पिछड़ापन तय किया गया और उन्हें आरक्षण दिया गया।